लखनऊ। (वहाब उद्दीन सिद्दीक़ी) राजधानी में बीते सोमवार को किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मॉलिक्यूलर बायोलॉजी यूनिट सेंटर फॉर एडवांस रिसर्च और जीनोम फाउंडेशन इंग्लैंड यूनाइटेड किंगडम द्वारा करंट ट्रेंड इन जिनोमिक एंड मॉलिक्यूलर मेडिसिन के विषय पर आधारित लखनऊ के क्लार्क अवध होटल में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला में केजीएमयू के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डीके गुप्ता मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस कार्यशाला की अध्यक्षता केजीएमयू के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट द्वारा की गई। इस अवसर पर कुलपति ने सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च फॉर मॉलिक्यूलर यूनिट को को बढ़ावा देने के लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।
इसके साथ ही उन्होंने इस विभाग द्वारा किए गए नए रिसर्च एवं कार्यों के बारे में जानकारी दी।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित केजीएमयू के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डीके गुप्ता ने बताया कि उन्होंने एवं विभाग की डॉ नीतू सिंह ने इस विभाग की स्थापना की इसके साथ ही उन्होंने बताया कि आज विभाग मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक की तरफ तेजी से बढ़ रहा है।
इस अवसर पर कार्यक्रम की आयोजनकर्ता एवं विभाग की डॉ नीतू सिंह ने बताया कि ह्यूमन जींस को लेकर उनके विभाग द्वारा काफी रिसर्च की जा चुकी है जिसका लाभ जल्दी मरीजों को मिलेगा इसके साथ ही उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा अन्य बीमारियों को लेकर भी रिसर्च जारी है जिसका लाभ आने वाले समय में मरीजों को मिलेगा।
डॉ नीतू सिंह ने आगे बताया की इस कार्यक्रम का उद्देश्य था कि जिओनॉमिक एवं डीएनए की जो पढ़ाई हो चुकी है उसके बारे में मेडिकल के छात्रों को उसके माध्यम से मेडिकल के छात्रों को किस तरह शिक्षित किया जाए की एक ओर एक दवा से एक कैंसर का पेशेंट ठीक हो जाता है तो वहीं दूसरी ओर उसी दवा से दूसरा कैन्सर पेशेंट ठीक नहीं होता है।
तो उसके डीएनए जींस को चेक कर के हर तरह की दवाई का प्रयोग उसके डीएनए पर कर उसकी समस्या का समाधान निकाला जाए, ताकि ब्लड कैंसर लंग, कैंसर और शरीर में किसी भी तरह के होने वाले कैंसर से लड़ा जाए और उसका दवाइयों के माध्यम से इलाज सकुशल कराया जा सके।
मॉलिक्यूलर बायोलॉजी केजीएमयू और इस पर समय समय पर रिसर्च भी होती रहती है तथा इस पर पहले से ही पढ़ाया जा रहा है। कुछ और नए तरह के टेस्ट अभी केजीएमयू द्वारा किए जा रहे हैं जिससे यह पता किया जा सकता है की ब्लड कैंसर को किस तरह से रोका जाए। इसमे यह भी रिसर्च किया जाएगा कि किस पेशेंट को कौन सी दवा सूट करती है ताकि उसके किसी भी तरह के कैंसर को आसानी से रोका जा सके और पेशेंट को जल्द से जल्द आराम मिल सके।
इस अवसर पर कार्डिफ़ यूनिवर्सिटी इंग्लैंड यूनाइटेड किंग्डम के प्रोफेसर धावेंद्र कुमार ने ब्लड प्रेशर के मरीजों को इसके निदान एवं उपचार के बारे में जानकारी दी।
इस कार्यशाला में प्रोफेसर रीना दास ने ब्लड जेनेटिक डिसऑर्डर रक्त संबंधित कौन-कौन सी बीमारियों पर रिसर्च जारी है उससे संबंधित बीमारी के बारे में जानकारी दी।
इस कार्यशाला में मुख्य रूप से एरा मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति माननीय अब्बास अली मेहंदी, आईआईटीआर के डॉक्टर आलोक धवन, डॉ राजा रॉय निदेशक सीबीएमआर, एसजीपीजीआई लखनऊ, डॉ अनिल बालापुरे समेत भोपाल एम्स, जोधपुर एम्स, ऋषिकेश एम्स, एसआरएम यूनिवर्सिटी, चेन्नई के साथ ही मुंबई, गुजरात एवं केजीएमयू के छात्र-छात्राएं एवं डॉक्टर प्रोफेसर उपस्थित रहे