छत्तीसगढ़ की रमन सरकार बदलते ही 15 साल के खूफिया रिकॉर्ड स्वाहा कर दिए गए। राज्य के खुफिया विभाग के अधिकारियों ने गुरुवार को शहर के बाहरी इलाके में गुपचुप तरीके से दो टन दस्तावेज को आग के हवाले कर दिया। विशेष शाखा के डीएसपी के नेतृत्व में पहुंचे अधिकारियों और जवानों के दल ने रमन सरकार के 15 साल के कार्यकाल के दौरान विशेष शाखा में इकट्ठे दस्तावेजों को एक-एक कर फूंका। हालांकि अफसरों का कहना है, यह खुफिया विभाग के रूटिन के दस्तावेज थे और नियमानुसार इसे जलाया गया है। लेकिन सरकार बदलते ही गुपचुप तरीके से दस्तावेज फूंके जाने से कई सवाल भी खड़े हो गए हैं।
प्रदेश में करीब पंद्रह साल बाद सत्ता परिवर्तन होने से सभी विभागों में हलचल है। इसी कड़ी में शासन के सबसे खुफिया विभाग महत्वपूर्ण विंग विशेष शाखा में भी इसकी हलचल देखने को मिली है।
विशेष शाखा के डीएसपी अजय लकड़ा के नेतृत्व में अधिकारियों का दल कचना के खुले मैदान में पहुंचा था। अधिकारी अपने साथ दो गाड़ियों में काफी दस्तावेज लेकर पहुंचे थे।
इसके अलावा टीम के सदस्य पेट्रोल आदि भी लेकर आये थे। इसके बाद सभी ने गाड़ियों से दस्तावेज निकालकर उसे कचरे के ढेर पर रख कर आग लगा दी। पेट्रोल जैसे ज्वलनशील पदार्थ के कारण ये दस्तावेज सुलगने लगे।
ये दस्तावेज किस प्रकार के थे इसे बताने के लिए अधिकारी तैयार नहीं हुए और उनका कहना था कि ये सामान्य डीएसआर के दस्तावेज थे। लेकिन विभाग की कार्यप्रणाली को देखते हुए अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये काफी गोपनीय दस्तावेज रहे होंगे।
जिसके कारण इसको जलाने में विभाग ने काफी गोपनीयता बरती गयी। दस्तावेज के ढेर में आग लगाने के बाद भी अधिकारी उसे काफी देर तक खंगालते रहे और जब तक सारे दस्तावेज जले नहीं वे मौके पर ही खड़े रहे।
एक एक कागज़ को कचरे के ढेर के नीचे से निकाल कर जलाया गया। समय नहीं मिलने के कारण नहीं जला पाए थे दस्तावेज मौके पर मौजूद अधिकारियों के अनुसार जिन दस्तावेज को नष्ट किया गया है उसे नष्ट करने के लिए सारी प्रक्रिया पूरी की गई थी।
इसके लिए डेढ़ साल पहले विभागीय आदेश भी जारी किया गया था। लेकिन अधिकारी इसका जवाब नहीं दे पाए कि यदि डेढ़ साल पहले ही उन्हें दस्तावेज को नष्ट करने के लिए मंजूरी मिल गयी थी तो उन्होंने पहले इसे नष्ट क्यों नहीं किया।
हालांकि एसबी के डीएसपी ने बताया कि समयाभाव के कारण दस्तावेज नहीं जलाया गया था। आज समय मिलने पर समस्त दस्तावेज को जलाया गया है।
सत्ता परिवर्तन का असर
खुफिया विभाग की महत्वपूर्ण इकाई के रूप में विशेष शाखा कार्य करती है। जिसका कार्य प्रदेश में होने वाली हर हलचल पर नजर रख कर इसकी रिपोर्ट सरकार को देना होता है। विभाग के अधिकारी सत्ता पक्ष और विपक्ष के लोगों के अलावा अन्य प्रकार की सूचना संगृहित कर अपनी रिपोर्ट शासन को देते है। ऐसे में बीते पंद्रह साल से एक ही सरकार के लिए काम कर रहे विभाग के अधिकारियों को किसी प्रकार का डर नहीं था। अब हालात बदल गए हैं।
इस टीम ने किया नष्ट
दस्तावेज को नष्ट करने के लिए बनाई गई टीम में डीएसपी अजय लकड़ा, इंस्पेक्टर राजेश मालाकार,देवेंद्र कुमार टंडन, सब इंस्पेक्टर राकेश भट्ट वसीम बारी कुरैशी और सहायक उप निरीक्षक राजू प्रसाद केरकट्टा शामिल थे। उनकी मौजूदगी में ही सारे दस्तावेज को जलाया गया। मौके पर सहायता के लिए आरक्षक और प्रधान आरक्षक भी थे।
फंसने वाले अधिकारी ही जलाते हैं दस्तावेज
शासकीय दस्तावेज को जलाना अपराध है। इस प्रकार की कार्रवाई को साक्ष्य को नष्ट करना माना जाता है। इस प्रकार के दस्तावेज अधिकारी तभी जलाते है जब उनके फंसने की संभावना हो। जो फंसने वाले लोग रहे होंगे उन्होंने ही दस्तावेज को जलाया होगा। इस मामले की जांच करवाएंगे। (सत्यनारायण शर्मा, विधायक, रायपुर ग्रामीण)