पहली हिंदू सांसद तुलसी गबार्ड ने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए दावेदारी पेश की

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अमेरिकी की पहली हिंदू सांसद तुलसी गबार्ड 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से उम्मीदवार बनना चाहती हैं। इसकी आधिकारिक घोषणा वे अगले हफ्ते कर सकती हैं। तुलसी 2013 से अमेरिका के हवाई राज्य से हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में डेमोक्रेट सांसद हैं। अगर तुलसी ट्रम्प के खिलाफ डेमोक्रेट उम्मीदवार चुनी जाती हैं और चुनाव जीत जाती हैं तो वे अमेरिका की सबसे युवा और पहली महिला राष्ट्रपति होंगी। वे अमेरिका की पहली गैर-ईसाई और पहली हिंदू राष्ट्रपति भी होंगी।

सबसे बड़ा मुद्दा युद्ध और शांति का

  1. गबार्ड ने एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, मैंने राष्ट्रपति चुनाव में अपनी उम्मीदवारी पेश करने का फैसला किया है और इसका ऐलान अगले हफ्ते तक कर सकती हूं।
  2. उन्होंने कहा कि अमेरिकी लोगों के सामने भी बहुत सारी चुनौतियां हैं, जिनके बारे में मुझे चिंता है और जिन्हें मैं हल करने में मदद करना चाहती हूं। यहां एक सबसे बड़ा मुद्दा युद्ध और शांति का है।
  3. 37 साल की तुलसी हवाई से चार बार से डेमोक्रेट सांसद हैं। वे हर बार रिकॉर्ड वोटों से जीती हैं। राजनीति में आने से पहले वे अमेरिकी सेना की ओर से 12 महीने के लिए इराक में तैनात रह चुकी हैं।

 

कैथोलिक परिवार में हुआ था जन्म

गबार्ड का जन्म अमेरिका के समोआ में एक कैथोलिक परिवार में हुआ था। उनकी मां कॉकेशियन हिंदू हैं। इसी के चलते तुलसी गबार्ड शुरुआत से ही हिंदू धर्म की अनुयायी रही हैं। सांसद बनने के बाद तुलसी पहली सांसद थीं, जिन्होंने भगवत गीता के नाम पर शपथ ली थी।

 

  1. तुलसी अमेरिकी संसद की आर्म्ड सर्विस कमेटी और विदेश मामलों की कमेटी की सदस्य हैं। चार बार की सांसद भारत अमेरिका के संबंधों की बड़ी समर्थक हैं।
  2. हालांकि, उम्मीदवार बनने के लिए भी तुलसी को प्रायमरी चुनावों में जीत हासिल करनी होगी, जहां उनका मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी के कम से कम 12 सांसदों के साथ होगा। उनसे पहले डेमोक्रेटिक सीनेटर एलिजाबेथ वॉरेन भी दावेदारी पेश कर चुकी हैं। भारतीय मूल की कमला हैरिस (54) भी दावेदार बनने की दौड़ में हैं। पार्टी पर उनकी तुलसी से ज्यादा पकड़ मानी जाती है। कमला ईसाई हैं। उनकी मां तमिल थीं।

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