दिल के रोग सताने लगे हैं 30 की उम्र में

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नई दिल्ली – देश में आधुनिक जीवनशैली और अनियमित आहार के कारण 30 से 40 साल की उम्र के लोगों को दिल संबंधी रोगों की बीमारियों होने लगी हैं। समस्या इतनी आम हो चुकी है कि छोटी उम्र के बच्चे भी इस बीमारी का शिकार होते जा रहे हैं। हृदय रोग, दुनिया में मृत्यु और विकलांगता का प्रमुख कारण है और ह््रदय रोगों के कारण हर साल किसी और रोग की तुलना में अधिक मौतें होती हैं। इसलिए विशेषज्ञों ने दिल को स्वस्थ रखने के कुछ उपाय सुझाए हैं। पीएसआरआई हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ. टी.एस. क्लेर का कहना है कि स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ दिल का होना बहुत जरूरी है, इसलिए दिल के प्रति बिलकुल भी लापरवाही नहीं बरतना चाहिए। एक बार हार्ट अटैक झेल चुके हृदय के मरीजों को अत्यन्त सावधानी के साथ अपनी जीवन शैली में बदलाव अपनाने चाहिए।

धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के कार्डियो थोरेसिक एवं वैस्कुलर डायरेक्टर और सर्जन डॉ. मितेश बी. शर्मा का कहना है कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर व्यक्ति तनाव से घिरा हुआ है और इस बात में कोई दोहराए नहीं है की तनाव हृदय घात होने का एक मुख्य कारण है। दोष हमारी दिनचर्या और खान पान का भी है, अधिक मीठा या मसालेदार भोजन, धूम्रपान, शारीरिक गतिविधियों का अभाव हृदय को कमजोर बना रहे हैं। दिल को नुकसान पहुंचाने में तनाव, अनियमित जीवनशैली और प्रदूषण भी पूर्ण रूप से जिम्मेदार है।

उन्होंने कहा, “तनाव से मुक्त होने के लिए कई लोग धूम्रपान, नींद की दवाएं, शराब का सेवन करते हैं लेकिन यह भी दिल को नुकसान पहुंचाती है। तनाव मुक्त होने के लिए योग, मेडिटेशन, खेलना अच्छे विकल्प है। समाज में बढ़ती इस समस्या को देखते हुए हम अपने हॉस्पिटल में ह््रदय दिवस पर निशुल्क हृदय जांच की सुविधा प्रदान कर रहे हैं। इसमें इको स्क्रीनिंग, टीएमटी, ईसीजी, आदि की निशुल्क जांच कर लोगो को इस समस्या की रोकथाम और लक्षणों को पता लगाने की जानकारी और परामर्श दे सकें।“

हृदय रोगों के लक्षण को बारे में बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमर सिंघल ने कहा कि दिल की बीमारी के शुरुआती लक्षण जिन्हें समय से पहले जान गंभीर दिल की बीमारियों से बचा जा सकता है, वे हैं :

  • छाती में बेचैनी महसूस होना : यदि आपकी आर्टरी ब्लॉक है या फिर हार्ट अटैक है तो आपको छाती में दबाव महसूस होगा और दर्द के साथ ही खिंचाव महसूस होगा।
  • मतली, हार्टबर्न और पेट में दर्द होना : दिल संबंधी कोई भी गंभीर समस्या होने से पहले कुछ लोगों को मितली आना, सीने में जलन, पेट में दर्द होना या फिर पाचन संबंधी दिक्कतें आने लगती हैं।
  • हाथ में दर्द होना : कई बार दिल के रोगी को छाती और बाएं कंधे में दर्द की शिकायत होने लगती है। ये दर्द धीरे-धीरे हाथों की तरफ नीचे की ओर जाने लगता है।
  • कई दिनों तक कफ होना : यदि आपको काफी दिनों से खांसी-जुकाम हो रहा है और थूक सफेद या गुलाबी रंग का हो रहा है तो ये हार्ट फेल का एक लक्षण है।
  • सांस लेने में दिक्कतें होना : सांस लेने में दिक्कतें होना या फिर कम सांस आना हार्ट फेल होने का बड़ा लक्षण है।
  • पसीना आना : सामान्य से अधिक पसीना आना खासतौर पर तब जब आप कोई शारीरिक क्रिया नहीं कर रहे तो ये आपके लिए एक चेतावनी हो सकती है।
  • पैरों में सूजन : पैरों, टखनों, तलवों और एंकल्स में सूजन आने का मतलब ये भी हो सकता है कि आपके दिल में रक्त का संचार ठीक से नहीं हो रहा है।
  • चक्कर आना या सिर घूमना : कई बार चक्कर आने, सिर घूमने, बेहोश होने, बहुत थकान होने जैसे लक्षण भी एक चेतावनी हैं।

इससे बचाव पर डॉ. अमर सिंघल ने कहा, “तनाव से बचें, एक्सरसाइज करके भी दिल का ख्याल रखा जा सकता है। इसके लिए आपको नियमित तौर पर एक्सरसाइज करनी होंगी। दिल से संबंधित किसी भी एक्सरसाइज के लिए डॉक्टर की सलाह भी जरूरी है।“

उन्होंने कहा, “दिल की सलामती के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई सही तरीके से हो इसके लिए वॉल्व्स का स्वस्थ और खुला होना बहुत जरूरी है। खड़े होकर की जाने वाली एक्सरसाइज करें, जिससे हृदयतंत्र को लाभ पहुंचे, गहरी सांस लेने से छाती में फैलाव होता है, जिससे दिल को भरपूर ऑक्सीजन मिलती है।“

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