लखनऊ – ब्रेन ट्यूमर जानलेवा साबित हो सकता है। मगर, इसके शुरुआती लक्षणों पर जरा सा ध्यान दिया जाए, तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। एंडोस्कोपिक ट्रांस नसल सर्जरी से इसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में निशान भी नहीं पड़ते हैं और यह बहुत ही सुरक्षित सर्जरी है। शुरुआती स्तर पर ही इस बीमारी के लक्षण दिखने लगते हैं।
यदि किसी व्यक्ति को सिरदर्द बना रहता है, उल्टी की शिकायत होती है और उसकी नजर लगातार कमजोर होती जा रही है या नाक से तरल पदार्थ निकलता रहता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म, मासिक धर्म का लंबे समय तक चलना या स्तन से सफेद द्रव्य के निकलने से इसे जोड़ा जाता है।
एमआरआई टेस्ट से इस बात का पता चल सकता है कि व्यक्ति को ब्रेन ट्यूमर है या नहीं। यह सुनिश्चित हो जाए कि ब्रेन ट्यूमर है, तो एंडोस्कोपिक ट्रांस नसल सर्जरी से इसका इलाज किया जाता है। कई बार इन लक्षणों के सामने आने के बाद मरीज चिकित्सक, एंडोक्राइनोलॉजिस्ट या नेत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करते हैं। वहीं, महिलाएं हार्मोनल उपचार के लिए अक्सर स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करती हैं क्योंकि वे मानती हैं कि मासिक समस्या हार्मोन्स के असंतुलन के कारण हो सकती है।
मगर, जब समस्याएं बनी रहती हैं और नजर काफी हद तक खराब हो जाती है, तो उस मामले में काफी देर हो चुकी होती है। क्योंकि इस समय तक ट्यूमर का पता भी नहीं चल पाता है और वह आकार में भी बढ़ गया होता है। हालांकि, ट्यूमर को तब भी सफलतापूर्वक हटाया जा सकता है, लेकिन इलाज में देरी होने से करीब 50 फीसद मरीज अक्सर अपनी नजर खो देते हैं।
भारत में प्रति एक लाख में से 3.4 पुरुषों और 1.2 महिलाओं को ब्रेन ट्यूमर होने के मामले सामने आए हैं। न्यूरोसर्जन एक एंडोस्कोप को नाक के माध्यम से मस्तिष्क के ट्यूमर तक पहुंचता है और उसे निकालता है। इसके लिए नाक के गुहा के पीछे एक छोटी चीरा लगाया जाता है। पिट्यूटरी का पता चलने के बाद न्यूरोसर्जन ट्यूमर को निकाल देता है। यह शल्य चिकित्सा विकल्प सुरक्षित और प्रभावी है।