लखनऊ। (वहाब उद्दीन सिद्दीक़ी) राजधानी में केजीएमयू के कलाम सेन्टर में एन.एच.एम. के अंतर्गत दिए जा रहे डॉक्टरों के छह दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलता पूर्वक समापन हुआ जहाँ उत्तर प्रदेश के 75 जिलों से आये हुए डॉक्टरों को इस बात की ट्रेंनिग दी गयी कि आपदा के समय प्राथमिक उपचार में बहुत सारी होने वाली घटनाओं को कैसे रोका जा सकता है। सभी डॉक्टरों के आगे उनके जिले के अस्पताल में क्या क्या परेशानिया आती हैं और उनको कैसे दूर किया जाएगा इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए सभी ट्रेनिंग पर आए हुए डॉक्टरों को विभिन्न छेत्रो से आये हुए अपनी स्पेशलिटी के डाक्टर जैसे पीजीआई चंडीगढ़ के न्यूरोलॉजिस्ट, एम्स के इंटिविस्त, हैदराबाद से बच्चों के स्पेशलिस्ट, व केजीएमयू की ट्रामा सेन्टर की टीम ने इन डॉक्टरों को ट्रेंनिग दी जिससे के वह लोग अपने अपने जिला अस्पतालों में जा कर और अच्छे से मरीज़ो का इलाज कर सकें।
समारोह में उत्तर प्रदेश की महिला एवं परिवार कल्याण मंत्री प्रो. रीता बहुगुणा जोशी भी पहुँची जहाँ उन्होंने आकस्मिक चिकित्सकों के 06 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को सम्बोधित किया।
इस अवसर पर वहां मौजूद डॉक्टरों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा आपदा के समय प्राथमिक उपचार में बहुत सारी होने वाली घटनाओं को रोका जा सकता है। जिसके लिए आप सब लोग प्रशिक्षित होकर उत्तर प्रदेश के साथ साथ देश में अगर कहीं भी आपदा या क्राइसिस जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न होती है तो उस समय आपका यह प्रशिक्षण काम आएगा। जिससे कि आप लोगों की सहायता करने में सफल होंगे और होने वाली घटनाओं को कम किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने इमरजेंसी मेडिसिन डॉक्टर के साथ खुलकर चर्चा भी की। वहीं मौजूद मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए रीता बहुगुणा जोशी ने कहां कि मुझे बड़ी खुशी हो रही है आप लोगों को यह बताते हुए उत्तर प्रदेश ने एक बार और पूरे देश मे स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक नया प्रयोग किया है इसे हमने नाम दिया है (ECMS) इमरजेंसी क्राइसिस मैनेजमेंट सलूशन , विश्व के कई देशों में इसका प्रयोग किया जाता है विभिन्न प्रकार की आपातकाल में पैदा हुई परिस्थितियों को संभालने के लिए।
इसमें जो राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से 6 दिन का कोर्स था वह दो चरणों में होना था जिसमें पहले चरण में हमने उत्तर प्रदेश के 75 जिलों के हर जिले से एक एक पुरुष डॉक्टर को बुलाया था इसके बाद जिनका यहाँ छह दिन का प्रशिक्षण हुआ है। उसके बाद हम दिसम्बर में सभी 75 जिलों के महिला अस्पतालों से एक एक महिला डॉक्टरों को बुलाएंगे और उनको भी इसी प्रकार की ट्रेनिंग दी जाएगी और निश्चित रूप से यह जो ट्रेनिंग डॉक्टरों को दी गई है इसका एक अच्छा रिजल्ट 1 वर्ष के अंदर ही दिखाई देने लगेगा।
विश्व के पाँच महान देशों से हमेशा डाक्टर जुड़े रहेंगे।
इस मौके पर मौजूद डॉक्टर अंकिता राय ने बताया कि डॉक्टरों को जो 6 दिन की
ट्रेनिंग दी गई है वह भले ही खत्म हो गई हो लेकिन विश्व के पाँच महान देशों अमेरिका, यूरोप, सिंगापुर, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, के साथ सारे डाक्टर हमेशा ऑनलाइन जुड़े रहेंगे और कहीं पर भी अगर इनको इलाज में किसी तरह की दिक्कत पेश आती है तो इन सारी कंट्रीज के जो स्पेशलिस्ट डॉक्टर है वह इन को तुरंत ही मदद करेंगे और इससे यह सुविधा भी होगी की छोटे-छोटे केसों में हर जिलों से जो तुरंत ही मरीज को रिफर कर दिया जाता था उसने भी काफी कमी आएगी उन मरीजों को उनके ही जिले में आसानी से इलाज मिल सकेगा जिससे कि उन मरीजों की जान बच सकेगी।
केजीएमयू के सीएमएस डॉ. शंखवार ने बताया।
केजीएमयू के सीएमएस डॉक्टर शंखवार ने बताया कि जिन डॉक्टरों ने इस 6 दिन के प्रशिक्षण में हिस्सा लिया था। जब पहले दिन वह प्रशिक्षण में शामिल होने के लिए आए थे तो उनके ज्ञान के बारे में पूछा गया उसके बाद उनका परीक्षण शुरू किया गया। जहाँ उनको सिखाया गया कि आपातकाल में किस तरीके से समस्याओं का सामना कर हम लोगों को मदद करनी है। उसके बाद जब प्रशिक्षण खत्म हुआ तो डाक्टरों से फिर से उनके ज्ञान के बारे में पूछा गया कि कितना उन्होंने प्रशिक्षण के माध्यम से अर्जित किया तो यह प्रशिक्षण कहीं ना कहीं आपातकाल के समय बहुत कारगर साबित होगा।
रीता बहुगुणा जोशी ने बताया प्रथम चरण में पुरुष डॉक्टरों को नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत 6 दिन का प्रशिक्षण दिया गया । इसके बाद अगले चरण में प्रदेश भर के महिला अस्पतालों से महिला डॉक्टरों को बुलाकर उनको प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि भविष्य में होने वाले किसी भी बड़ी आपदा के लिए हमारे पास डॉक्टर्स की बिल्कुल कमी ना हो जिससे होने वाली घटनाओं को कम किया जा सके।
(वहाब उद्दीन सिद्दीक़ी)