केजीएमयू में मनाया गया मनोचिकित्सा विभाग का स्थापना दिवस- कैनविज टाइम्स

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केजीएमयू में मनाया गया मनोचिकित्सा विभाग का स्थापना दिवस- कैनविज टाइम्स

लखनऊ। ( वहाब उद्दीन सिद्दीकी ) राजधानी के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में शुक्रवार को मनोचिकित्सा विभाग द्वारा अपने 48वें स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन कलाम सेंटर में किया गया। इस 48वें स्थापना दिवस में कुलपति एम.एल.बी.भट्ट, विभागाध्यक्ष प्रोफेसर पी.के.दलाल समेत बड़ी संख्या में चिकित्सक उपस्थित रहे। इस मौके पर मनोचिकित्सा विभाग के विभागअध्यक्ष डॉ. पी. के. दलाल द्वारा विभाग की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए गत वर्षो में विभाग द्वारा प्राप्त की गई उपलब्धियों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया।

उक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एम.एल.बी. भट्ट ने मनोचिकित्सा विभाग द्वारा मोबाइल और इंटरनेट के अत्यधिक इस्तमाल से होने वाली मानसिक बीमारियों के उपचार के लिए “क्लीनिक फॉर प्रॉब्लमेटिक यूज़ ऑफ टेक्नोलॉजी” का उद्घाटन किया। इस यूनिट में 4 अप्रैल 2019 से हर गुरुवार ओपीडी चलेगी। जिस में आने वाले किशोरों, बच्चों एवं उनके परिजनों की काउंसलिंग एवं साइकोथेरेपी के माध्यम से इंटरनेट और टेक्नोलॉजी की लत छुड़ाने और इसके प्रबंधन की सुविधा प्रदान किए जाने के साथ ही टेक्नालॉजी के स्वस्थ उपयोग के बारे में जानकारी दी जाएगी।

इस मौके पर कुलपति ने विभाग द्वारा प्रकाशित स्मारिका का विमोचन किया उन्होंने बताया की मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे भारत में 479 मेडिकल कॉलेज में से 49 मेडिकल कॉलेज ने पिछले 10 वर्षों से एक भी शोध पत्र प्रकाशित नहीं किए थे। जिसके बाद एमसीआई ने शोध पत्र को प्रकाशित करना अनिवार्य कर दिया जबकि पूर्व में ऐसा नहीं होता था। कुलपति ने कहा की केजीएमयू में मानसिक रूप विभाग को जो महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है उसको विभाग के 11 संकाय सदस्यों के द्वारा 61 शोध पत्रों का प्रकाशन भी एक सराहनीय उपलब्धि है।

चिकित्सा विश्वविद्यालय की 450 की लगभग फेकल्टी ने पिछले वर्ष 600 शोध पत्र प्रकाशित किए। अंतरराष्ट्रीय स्तर के मापदंडों पर इसको एक सराहनीय उपलब्धि के रूप में देखा जा सकता है। इसको और बढ़ावा देने के लिए तमाम राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालयों से एम.ओ.यू. संपादित किए जा रहे हैं जिसमें सभी विभागों में एकाडमिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है। इस अवसर पर पी.जी.आई.एम.ई.आर. चंडीगढ़ के मनोचिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ देवाशीष बसु द्वारा टेक्नोलॉजी की “लत या लत की टेक्नोलॉजी” के विषय पर एक व्याख्यान प्रस्तुत किया। अपने व्याख्यान में उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से टेक्नोलॉजी ने अभूतपूर्व रूप से हमारे रोजमर्रा के जीवन में अपनी जगह बना ली है।

आज ज्यादातर लोग स्मार्ट फोन और लैपटॉप के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। डॉ देवाशीष बसु ने बताया कि विश्वा स्वास्थ्य संगठन ने जून 2018 में ऑनलाइन गेमिंग को एक मानसिक विकार के रूप में मान्यता दी है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया के उपयोग को तेजी से नशे की लत के रूप में मान्यता दी जा रही है क्योंकि लोग लगातार खबरों के लिए अपने स्मार्टफोन की जांच कर रहे हैं या कार्यस्थल पर ऑनलाइन खरीदारी, साइडों को ब्राउज़ कर रहे हैं इंटरनेट सामुदायिक जीवन और सामाजिक विषय की भागीदारी को बेहतर बना रहा है या बिगाड़ रहा है यह चर्चा का विषय है। डॉ देवाशीष बासु ने बताया कि इंटरनेट का उपयोग यदि लत के स्तर पर हो तो वह सामाजिक दायरे के घटने, अवसाद, अकेलापन, आत्मसम्मान की कमी और जीवन में आसंतुष्टि खराब मानसिक स्वास्थ्य और परिवारिक कार्यों में गिरावट के साथ जुड़ा हुआ है।

आगे उन्होंने कहा कि आमने सामने वाली बातचीत की कमी, वयायाम में कमी, देर रात तक टेक्नोलॉजी का उपयोग करने से नींद की समस्याओं और तेजी से गतिहीन जीवन शैली को अपनाने एवं टेक्नोलॉजी की लत से ना केवल मानसिक स्वास्थ्य बल्कि शरीक स्वास्थ भी प्रभावित हो रहा है। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर एस.एन. शंखवार, डीन मेडिसिन विभाग, डॉक्टर विनीता दास ने भी अपने विचार प्रकट किये। केजीएमयू मनोचिकित्सा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. आदर्श त्रिपाठी, डॉ. विवेक अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

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