अब रिटायरमेंट से पहले प्रोविडेंट फंड (पीएफ) की पूरी रकम नहीं निकाली जा सकेगी। केंद्र सरकार ने इसके लिए सीमा तय कर दी है। नई व्यवस्था के तहत 60 साल से कम उम्र में नौकरी छोड़ चुके एंप्लाई प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) धारक सिर्फ 75 फीसदी रकम ही हासिल कर सकेंगे, जबकि पहले तक उनके पास पूरी रकम निकलाने का विकल्प रहता था।
एक महीने तक खाली (बगैर नौकरी के) रहने पर लोग ईपीएफ खाते में जमा रकम निकालने के लिए अब योग्य माने जाएंगे। वहीं, पुरानी व्यवस्था में लगातार दो महीने तक खाली रहने वाले रिटायरमेंट से पूर्व ईपीएफ फंड से पैसे निकाल पाते थे। छह दिसंबर को एंप्लाई प्रोविडेंट फंड्स (संशोधित) योजना में इस बाबत जानकारी दी गई थी।
श्रम मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि भारी संख्या में पाया गया था कि अधिकतर लोग रिटायरमेंट पूरा होने से पहले ही खाते से पीएफ की पूरी रकम निकाल लेते थे, जिसके बाद केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है। सूत्र के अनुसार, “ऐसी निकासी किसी भी शख्स की सदस्यता को खत्म कर देती है, जिससे उसके और उसके परिवार की सामाजिक सुरक्षा पर प्रभाव पड़ता है। इन मामलों में समय से पहले के फाइनल सेटलमेंट और किसी के दो महीने से अधिक बेरोजगार चलने सरीखे मामले शामिल हैं।”
बता दें कि संगठित और अर्ध संगठित क्षेत्रों में ईपीएफओ कर्मचारियों के सोशल सिक्योरिटी फंड्स का प्रबंधन करता है। मसलन एक कर्मचारी 15000 रुपए प्रति माह कमाता है। उसकी तनख्वाह के बेसिक पे से 12 फीसदी रकम ईपीएफ के योगदान में जाती है। इसमें 8.33 फीसदी रकम कर्मचारी पेंशन योजना में जाती है, जबकि 3.67 फीसदी पैसा ईफीएफ में जाता है।