निघासन-खीरी – जिला लखीमपुर खीरी की राजनीति का आज सूरज अस्त हो गया। दशको से पार्टी की सेवा करते हुए आज पार्टी का सिपाही आखिरी जंग हार गया। निधन से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। खीरी की राजनीति के पुरोधा पटेल रामकुमार वर्मा का आज लंबी बीमारी के बाद मिडलैंड हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। पटेल रामकुमार वर्मा लगभग 4 महीने से बीमार चल रहे थे। श्री पटेल पांच बार विधानसभा के सदस्य रहे। श्री वर्मा 3 बार हैदराबाद अब (गोलागोकर्णनाथ) से एवं 2 बार निघासन विधानसभा से विधायक रहे।
पटेल रामकुमार वर्मा दो बार कैविनेट मंत्री भी रहे हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार उनका पार्थिव शरीर रविवार को उनके लक्ष्मणपुरी आवास पर एवं सोमवार को सुबह 8 बजे से 9 बजे तक पार्टी कार्यालय लखीमपुर में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा। जिससे पार्टी कार्यकर्ता उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे। सुबह नौ बजे के बाद उनके पार्थिव शरीर को पैतृक निवास ओदरहा ले जाया जाएगा। जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
निघासन विधानसभा से कई पार्टियों के लोकप्रिय विधायक चुने गए परंतु जितनी लोकप्रियता पटेल राम कुमार वर्मा को हासिल हुई उतनी किसी भी नेता को नसीब नही हुई। राम कुमार वर्मा असाधारण व्यक्तित्व के धनी थे उन्हें राह चलते जो भी मिलता उससे वह मिलकर ही आगे बढ़ते थे। उनके निधन की सूचना जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुई एकबारगी तो किसी को विस्वास ही नही हुआ कि हमारा नेता इतनी जल्दी हमे छोड़कर चला जायेगा। जैसे ही लोगो को पता चला कि उनकी हालत बहुत ही नाजुक बनी हुई है लोगो ने मंदिरो में घरों में उनकी सलामती के लिये प्रार्थनाएं शुरू कर दी थी लेकिन काल से बचाने के लिए उनकी प्रार्थनाएं काम न आई।
विधायक रामकुमार वर्मा यूँही नही इतने लोकप्रिय थे उन्होंने सबके लिए कुछ न कुछ किया था। अपने मंत्रित्व काल मे भी क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति अगर उनसे मिलने जाता था तो वह उससे मिलकर उसकी कुशलक्षेम पूछकर तुरंत उसका समाधान ढूढते थे। जनता से उन्ही की भाषा मे बात करते थे जिससे वह अपने कार्यकर्ताओं के दिल मे उतर जाते थे। वह जिससे एक बार भी मिल लेते थे उसको जिंदगी भर नही भूलते थे यही खासियत उन्हें विशेष बनाती थी। राम कुमार वर्मा को विकास पुरुष के नाम से जाना जाता है।
जब निघासन से पहली बार वह विजयी हुए तब पलिया भी निघासन विधानसभा में शामिल था। पलिया को तहसील बनाने, राजकीय महाविद्यालय, चंदनचौकी में आईटीआई कॉलेज और पुल जैसी असाधारण विकास कार्य करवाये। जिससे पलिया की जनता आज भी उनके गुणगान करती है। विधानसभा क्षेत्र के सैकड़ो गांवो को पक्की सड़क से जोड़ने का श्रेय भी उन्हें प्राप्त है। आज लोग उनकी मौत की खबर सुनकर अपने कानों पर विश्वास नही कर पा रहे हैं हर कोई स्तब्ध है और यही कह रहा है कि “चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश जहाँ तुम चले गए”।