पूरी अकीदत के साथ मनाया गया शबे बारात का पर्व-कैनविज टाइम्स

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पूरी अकीदत के साथ मनाया गया शबे बारात का पर्व-कैनविज टाइम्स

 

रिपोर्टर: वहाब उद्दीन सिद्दीक़ी

 

 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी में शबे बारात का पर्व पूरी अकीदत के साथ मनाया गया। इस मौके पर मस्जिदों में लोगों ने पूरी रात इबादत व तेलावत की। शहर भर के कब्रिस्तानों में अपने पुरखों की कब्र पर लोगों ने अगरबत्ती जलाकर फातिहा भी पढ़ी। पूरी रात रह रहकर पटाखाें की आवाज सुनाई देती रही।14 शाबान जिसे शबे बारात या नीमे शाबान भी कहा जाता है।

इस रात को बुराईयों से दूर होने वाली रात भी कहते हैं। मान्यता है कि शबे बारात की पूरी रात जागकर इबादत करने से अल्लाह से दुआ माँग कर सारे गुनाह माफ हो जाते हैं। शबे बारात के मौके पर मस्जिदों, इबादतगाहों, अजाखानों व आस्तानो में रात भर विशेष नमाज, दुआएं व आमाल किये जाते हैं। मस्जिदों व घरों की विशेष तौर से सजावट की जाती है। लोग हलवा का विशेष पकवान अपने घरों में बड़ी पाकीजगी से बनाते हैं व नज्र दिलाते हैं।शबे बारात के पर्व पर शिया समुदाय की ओर से मुफ़्ती गंज में नदी किनारे मेहंदी घाट पर इमामे ज़माना की याद में बजरे का आयोजन किया गया। जिसमे हज़ारो की संख्या में लोगो ने शिरकत की। दरगाह व अन्य मस्जिदों में रातभर हजारों की संख्या में लोग इबादत में मसरूफ रहे।

इस पर्व का महत्व इसीलिए भी बहुत अधिक है क्योंकि शिया मुसलमानों के 12वें इमाम हजरत मेहदी की वेलादत की शब भी है इमाम मेहदी का जन्म 15 शाबान को हुआ था। बता दें मुसलमानों के लिए यह रात बहुत फजीलत की रात होती है। इस दिन सारे मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं। वे दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तौबा करते हैं। इबादत, तिलावत और सखावत के इस त्योहार के लिए मस्जिदों और कब्रिस्तानों में खास सजावट की गयी थी। रात में मनाए जाने वाले शब-ए-बरात के त्योहार पर कब्रिस्तानों में भीड़ का आलम रहा।

पिछले साल किए गए कर्मों का लेखा-जोखा तैयार करने और आने वाले साल की तकदीर तय करने वाली इस रात को पूरी तरह इबादत में गुजारने की परंपरा है। नमाज,तिलावत-ए-कुरआन, कब्रिस्तान की जियारत और हैसियत के मुताबिक खैरात करना इस रात के अहम काम है। शब-ए-बरात पर्व के मौके पर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में शानदार सजावट तथा जलसे का एहतेमाम किया गया था।

रात में मुस्लिम इलाकों में शब-ए-बरात की भरपूर रौनक रही। शब-ए-बरात की रात शहर में कई स्थानों पर जलसों का आयोजन किया गया। इस्लाम में यह रात बेहद फजीलत की रात मानी जाती है। इस रात को मुस्लिम दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तौबा करते हैं।शब-ए-बारात की सारी रात इबादत और तिलावत का दौर चलता रहा। लोगो द्वारा इस रात को अपने उन परिजनों जो दुनिया से रुखसत हो चुके हैं उनकी मगफिरत की दुआएं की जाती हैं। इस रात को पूरी तरह इबादत में गुजारने की परंपरा है। बरकत वाली इस रात में हर जरूरी और साल भर तक होने वाले काम का फैसला किया जाता है और यह तमाम काम फरिश्तों को सौंपे जाते हैं। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार यह रात पूर्व के समय में किए गए कर्मों का लेखा-जोखा तैयार करने और आने वाले साल की तकदीर तय करने वाली मानी जाती है। इसलिए इस रात को शब-ए-बारात के तौर पर जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि तौबा की इस रात को अल्लाह तआला अपने बंदों का पूरे साल का हिसाब-किताब करते हैं। इस मौके पर लखनऊ पुलिस द्वारा सुरक्षा के कड़े इन्तिज़ाम किये गए थे। जिसमे सुरक्षा के मद्दे नज़र लखनऊ पश्चिम को 11 सेक्टर में बाटा गया था। जिसमे आर ए एफ, सिविल पुलिस, के साथ साथ आस पास के जिलों से भी भारी पुलिस बल बुला कर तैनात किया गया था। ताकि शबे ए बारात का ये पर्व शान्ति पूर्वक निपट सके।

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