राजधानी के एक एसएचओ ऐसे भी है जिनको नही पसन्द है घटना का कवरेज करना।:- कैनविज टाइम्स

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राजधानी के एक एसएचओ ऐसे भी है जिनको नही पसन्द है घटना का कवरेज करना।:- कैनविज टाइम्स

लखनऊ। ( वहाब उद्दीन सिद्दीकी ) उत्तर प्रदेश में जहाँ एक ओर प्रदेश के आला अधिकारी पुलिस की साफ़ सुथरी और अच्छी छवि बनाने में जी जान से जुटे हैं। समय समय पर सभी थाना प्रभारियों को ये निर्देश जारी किए जाते हैं की आप आम नागरिकों से शालीनता से पेश आये जिससे कि आप की छवि आम नागरिकों में मित्र पुलिस की छवि बने आम नागरिक थाने आते हुए न डरे। उच्च अधिकारियों का सब से ज़्यादा फोकस पुलिस की छवि सुधारने पर है। जिसके चलते थानों में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए थे ताकि थानों पर दुर्व्यवहार की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। आम नागरिक बिना भय के पुलिस के पास आये और अपनी परेशानी बताए। सभी थाना प्रभारियों से कहाँ गया था कि मीडिया का पूरा पूरा सहयोग करें। वहीं राजधानी में एक एसएचओ ऐसे भी हैं जिनको पत्रकारों द्वारा किसी भी घटना का कवरेज करना बिल्कुल भी पसन्द नही है। जी हाँ हम बात कर रहे हैं हमेशा अपनी किसी न किसी हरकत को लेकर सुर्खियों में बने रहने वाले राजधानी के पारा थाने की जहां थाना प्रभारी जी को पत्रकारों द्वारा घटना के कवरेज किये जाने से है चिढ़। दरअसल पूरा मामला है रविवार की दोपहर 3 बजे का है जब हँस नगर कॉलोनी में एक घटना घटती है। जिसमे 2 दिसम्बर को कुछ महिलाओं द्वारा हँस नगर कालोनी में स्थित लक्ष्मी जेवलर्स की दुकान पर लगभग 70 हज़ार रुपये के सोने के आभूषण चुरा लिए जाते हैं। मामले की तहरीर ले कर पारा थाने गए दुकान मालिक अजय शुक्ला को तहरीर ले कर टरका दिया जाता हैं। वही घटना को अन्जाम देने वाली वही महिलाएं रविवार को लगभग दोपहर 2:30 बजे पुनः उसी दुकान पर फिर से आभूषण चोरी करने के इरादे से आती हैं। किंतु इस बार दुकानदार की होशियारी से ये महिलाएं पकड़ ली जाती हैं जिनमे से एक महिला मौके का फ़ायदा उठा भाग जाती है। दुकान मालिक अजय शुक्ला द्वारा पुलिस को सूचना देने पर पुलिस मौके पर पहुँचती है और दोनों महिला को पारा थाने ले कर आ जाती है। घटना की जानकारी होने पर कैनविज टाइम्स के पत्रकार पारा थाने पहुँचते हैं और पीड़ित से पूरा मामला जानने की कोशिश करते हैं। अभी पत्रकार पीड़ित दुकानदार से पूरे मामले की जानकारी ले ही रहे होते हैं कि अचानक पारा थाना प्रभारी थाने से बाहर निकल कर आते हैं और पत्रकार को तेज आवाज़ में डाँटते हुए कवरेज से मना करते हैं। पत्रकार द्वारा ये बताने पर की वो आम नागरिक नही है बल्कि पत्रकार है थाना प्रभारी कहते हैं तुम सारी न्यूज़ एजेंसियों ने क्राइम कंट्रोल करने का ठेका ले रखा है क्या पुलिस तो जैसे कुछ है ही नही जब देखो हर ख़बर पर पहुँच जाते हो और कवरेज शुरू कर देते हो। जब कि पत्रकार थाना परिसर के बाहर पीड़ित का बयान ले रहा था। तो अब सोचने वाली बात ये है कि पुलिस का रवैया जब एक पत्रकार के साथ ये ऐसा है तो आम जनता के साथ क्या होता होगा ऐसे कैसे सच होगा उच्च अधिकारियों का मित्र पुलिस का सपना।

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