लखनऊ: लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुए हिंसा में चार किसान सहित आठ लोगों की मौत के मामले के मुख्य आरोपित आशीष मिश्रा मोनू की जमानत अर्जी कोर्ट ने गुरुवार को स्वीकार कर ली है। केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की इस याचिका पर अब तीन नवंबर को सुनवाई की जाएगी। लखीमपुर खीरी हिंसा के कांड में चार किसानों के साथ तीन भाजपा कार्यकर्ता तथा एक पत्रकार की हत्या के मामले के मुख्य आरोपित आशीष मिश्र मोनू सहित 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस केस में क्रास एफआइआर पर भी पुलिस एक्शन में है। सुमित जायसवाल की ओर से दर्ज कराई गई एफआइआर पर दो प्रदर्शनकारी को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।
लखीमपुर खीरी जिले की बहुचर्चित हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री के पुत्र आशीष मिश्र की जमानत पर सुनवाई गुरुवार को जिला जज मुकेश मिश्र की अदालत में टल गई है। इस मामले में अगली सुनवाई तीन नवंबर को होगी। गुरुवार को जिला जज की अदालत में होने वाली आशीष मिश्र की जमानत पर सुनवाई इसलिए टाल दी गई है क्योंकि अभी इस पूरे मामले में केस डायरी ही अपूर्ण है। अभियोजन पक्ष के मुताबिक अभी इस हिंसा से जुड़े कई सबूत और फॉरेंसिक रिपोर्ट ही केस डायरी में संलग्न नहीं हो पाई है। इसके साथ ही कई गवाहों के बयान भी अदालत में दर्ज नहीं हो पाए हैं। इसके पीछे जिले में अचानक आई बाढ़ की आपदा को भी माना जा रहा है। आरोपित आशीष मिश्र की मेडिकल रिपोर्ट भी अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। ऐसे एक दो नहीं कई बिंदु है जिनको केस डायरी में शामिल किए बिना जमानत पर सुनवाई संभव नहीं थी। जिसके चलते अभियोजन पक्ष ने जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दाखिल करते हुए अभी इस मामले में कुछ और समय मांगा। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तीन को इस याचिका पर सुनवाई का निर्णय किया। दीपावली से ठीक दिन पहले अदालत में यह तय हो जाएगा कि आशीष मिश्र की जमानत यहां से होगी या नहीं। इस केस में आशीष मिश्रा मोनू से पहले गिरफ्तार आरोपित लवकुश राणा तथा आशीष पाण्डेय की जमानत अर्जी बुधवार को जिला जज की अदालत में दाखिल की गई। इसके बाद दोनों की जमानत पर सुनवाई के लिए तीन नवम्बर की तिथि नियत की गई है।
हिंसा से जुड़े एक दर्जन गवाहों के और बयान दर्ज
लखीमपुर खीरी के तिकुनिया हिंसा कांड कांड के मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट ने बुधवार को एक दर्जन और गवाहों के बयान दर्ज किए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विवेचक ने घटना के गवाहों के मजिस्ट्रेट के समझ 164 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज कराने की कवायद शुरू कर दी थी। पहले दिन घटना के मामले में पांच गवाहों के बयान दर्ज हुए थे। 21 अक्टूबर को चार गवाही के बयान, 22 अक्टूबर को 12 गवाहों के बयान, 25 अक्टूबर को सात गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे। 26 अक्टूबर मंगलवार को तीन और गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किए गए थे। 27 अक्टूबर बुधवार एक दर्जन गवाहों के बयान दर्ज किए गए। अब तक 42 गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए जा चुके हैं।