प्रगतिशील वैचारिक एसोसिएशन ने किया शहीदों को याद

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सीतापुर

विश्ववीर गुप्ता के नेतृत्व में किया गया दीपदान

 

नवनीत दीक्षित

सीतापुर। देश में छिड़ चुके अंग्रेजों भारत छोड़ो के आंदोलन से सजीतापुर भी अछूता नहीं रहा। यहां भी अगस्त क्रांति के दौरान आजादी की लड़ाई के योद्धाओं ने ब्रिटानिया हुकूमत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। शहर के लालबाग पार्क (तब मोतीबाग) में 18 अगस्त 1942 को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने सभा करने का निर्णय लिया। फिरंगियों ने सभा रोकने के लिए लालबाग में एकत्र होने वालों पर बंदूकों का मुंह खोल दिया और गोलियां देशभक्तों का सीना छलनी करने लगीं। अंग्रेजों ने यहां दूसरा जलियांवाला बाग बना दिया। इस गोलीकांड में कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद हो गए। हालांकि, अंग्रेजों ने आठ शहीदों के शव ही दिए।
स्वाधीनता संग्राम की ये घटना 18 अगस्त 1942 की है। महात्मा गांधी द्वारा ‘करो या मरो’ के नारे पर अमल करते हुए आजादी के दीवाने लालबाग पार्क में एकत्र हुए। सभी ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ सभा करना चाहते थे। पर सभा करने की इजाजत नहीं मिली। इसके बावजूद आजादी के दीवाने देशभक्तों की टोलियां लालबाग (तत्कालीन मोतीबाग पार्क) पार्क में पहुंच गईं। इस पर तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर कैलाश चंद्र त्रिवेदी ने पुलिस बल के साथ पार्क को घेर लिया। देशभक्तों ने वंदे मातरम् के नारे लगाते हुए पत्थरबाजी शुरू कर दी। क्षेत्र के कुछ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बताते हैं कि एक पत्थर डिप्टी कलेक्टर की टोपी पर जा गिरा। इस पर सिपाहियों ने लाठीचार्ज के बाद गोलियां चलानीं शुरू कर दीं। देखते ही देखते लालबाग की धरती खून से लाल हो गई

ये हुए शहीद
लालबाग गोली कांड में चंद्रभाल मिश्र मधवापुर, मुन्ना लाल मिश्र निवासी कैमहरा, रघुवर दयाल तहसील मिश्रिख, बाबूराम भुर्जी लालबाग सीतापुर, मैकू लाल हाजीपुर (नैपालापुर), तहसील सीतापुर, मोहर्रम अली निवासी मिश्रिख तथा करीब दस वर्षीय बालक कल्लूराम ग्रीकगंज शामिल रहे।

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