अनिल कुमार तिवारी
लखनऊ, 15 मार्च। ग्लोबल 20स्मिट में दुनिया भर में दब गए लखनऊ में पहली स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय सैनिकों की वीरता और रणकौशल की अमिट कहानियां समेटे जी रेडेंसी का भ्रमण किया और बेगम हजरतमहल की सेना द्वारा की गई बड़ी घेराबंदी के बाद ग्रेट ब्रिटेन के सैन्य अधिकारी मारे गए के स्मारकों को देखा लेकिन लखनऊ केवल रेजीडेंसी युद्ध के कारण विख्यात नहीं है। उत्तर भारत के इस सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक नगर में आजादी से पहले और आजादी के बाद की सैकड़ों इमारतें और संस्थान आज भी आजादी की लड़ाई के सैकड़ों सैकड़ों मौजूद हैं।
तभी से लखनऊ के काकोरी स्टेशन से लेकर झंडेवाले पार्क तक का नाम चर्चा में है। काकोरी परिसर का जीर्णोद्धार करके वहां सभी शहीदों की नई चाहने को लगे ये जाने का काम योगी आदित्यनाथ सरकार की निगरानी में पूरा हो गया है। अब अमीनाबाद के झंडेवाले पार्क से जुड़े ऐतिहासिक व्यक्तियों और घटनाओं की स्मृतियों को यहां स्थापित करने और उजागर करने का कार्य प्रगति पर है। इस क्रम में स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर लखनऊ की महापौर संयुक्त भाटिया द्वारा झंडारोहण किया गया है लेकिन अब आजादी की लड़ाई से जुड़े शहीदों को लगातार जीवंत रखने में जुटी देशभक्त फोटो और शहीद स्मृति समारोह समिति जैसी तमाम काम की मांग है कि 1996 से लेकर 1947 तक आजादी की लड़ाई के 50 वर्षीय दूसरे संघर्षकाल में झंडेवाला पार्क के अमिट योगदान को देखते राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर दिया जाना चाहिए। जिस स्थान पर भारत में पहली बार तिरंगे झंडे को राष्ट्रध्वज के रूप में मान्यता दी जाती है
इसके अलावा दिलकुशा बाग, रिफाहेम क्लब, कैसरबाग बारादरी,
और नील गेट जैसे सैकड़ों भवन और स्थान हैं जिनके बिना भारत के स्वतंत्रता संग्राम की हर दास्तान अधूरी है। मजूदा केंद्र और प्रदेश सरकार के आर्थिक सहयोग और सहयोग के साथ इस क्षेत्र में लंबे समय तक समय से कार्य कर रही सक्रियता से यह संभावना दिखने लगी है कि दुनिया के पहले चिड़ियाघर के रूप में लखनऊ के वाजाद अली शाह प्राणि उद्यान को विश्व धरोहर स्थल बनाने के साथ हीवाले झंडे पार्क को राष्ट्रीय स्वाधीनता स्मारक बनाने का लक्ष्य भी देखने वाले हैं चुनाव से पहले ही पूरा हो जाएगा।