माँ का दूध शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बहुत ही जरूरी :- डा पियाली भट्टाचार्य

धीरेन्द्र मिश्रा/ कैनविज टाइम्स

लखनऊ। सूबे के करीब 24 फीसद बच्चों को ही जन्म के पहले घंटे में अमृत समान मां का पहला पीला गाढ़ा दूध मिल पाता है। बीमारियों से लड़ने की अचूक ताकत प्रदान करने वाले इस दूध की अहमियत को समझाने के लिए ही पूरे प्रदेश में एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाएगा। विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान विभिन्न सामुदायिक गतिविधियों के जरिये जागरूकता लाने की हर सम्भव कोशिश की जायेगी ताकि आने वाले समय में हर बच्चे को जन्म के पहले घंटे में स्तनपान की राह आसान बनायी जा सके। नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 2015-16 के अनुसार प्रदेश में एक घंटे के अंदर स्तनपान की दर 25.2 प्रतिशत थी जो कि नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-5 2019 -21 में घटकर 23.9 प्रतिशत पर पहुँच गयी है। इसमें शहरी क्षेत्र की 24.9 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र की 23.7 प्रतिशत महिलायें ही जन्म के पहले घंटे में बच्चे को अपना पहला पीला गाढ़ा दूध पिला पाती हैं। अगर छह माह तक केवल स्तनपान की बात करें तो नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 2015-16 में यह दर 41.6 प्रतिशत थी जो कि नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-5 2019 -21 में बढ़कर 59.7 प्रतिशत पर पहुँच गयी है, जो कि एक शुभ संकेत है। इसी को देखते हुए राज्य पोषण मिशन के निदेशक कपिल सिंह ने प्रदेश के सभी जिला कार्यक्रम अधिकारियों को पत्र जारी कर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से विश्व स्तनपान सप्ताह के दौरान जरूरी सामुदायिक गतिविधियों को आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। इसी उद्देश्य से इस सप्ताह की थीम स्तनपान के लिए कदम बढ़ाएं, शिक्षित करें और समर्थन करें’ तय की गयी है। संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ पियाली भट्टाचार्य का कहना है कि शिशु के लिए स्तनपान अमृत के समान होता है। यह शिशु का मौलिक अधिकार भी है। माँ का दूध शिशु के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बहुत ही जरूरी है। यह शिशु को निमोनिया, डायरिया और कुपोषण के जोखिम से भी बचाता है। इसलिए बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर मां का पहला पीला गाढा दूध अवश्य पिलाना चाहिए। यह दूध बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है, इसीलिए इसे बच्चे का पहला टीका भी कहा जाता है। स्तनपान करने वाले छह माह तक के शिशु को ऊपर से कोई भी पेय पदार्थ या आहार नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा रहता है। मां के दूध में शिशु के लिए पौष्टिक तत्वों के साथ पर्याप्त पानी भी होता है। इसलिए छह माह तक शिशु को माँ के दूध के अलावा कुछ भी न दें। यहाँ तक कि गर्मियों में पानी भी न पिलायें। ध्यान रहे कि रात में माँ का दूध अधिक बनता है, इसलिए मां रात में अधिक से अधिक स्तनपान कराये। दूध का बहाव अधिक रखने के लिए जरूरी है कि माँ चिंता और तनाव से मुक्त रहे। कामकाजी महिलाएं अपने स्तन से दूध निकालकर रखें। यह सामान्य तापमान पर आठ घंटे तक पीने योग्य रहता है। इसे शिशु को कटोरी या कप से पिला सकते हैं। स्तनपान शिशु को बीमारियों से बचाता है, इसीलिए यदि मां या शिशु बीमार हों तब भी स्तनपान कराएँ।

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