सीतापुर CMO व D M का क्या है विवाद जानिए हकीकत

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जिला अधिकारी अखिलेश तिवारी

सीतापुर- कोरोना संकट में प्रभावी कार्यवाई के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बार बार डीएम और सीएमओ को सयुक्त कार्ययोजना बना करके प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दे रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री के निर्देशों का अनुपालन डीएम और सीएमओ नहीं कर रहे हैं। सीएमओ पर जिलाधिकारी का कोई सीधा प्रशासनिक नियंत्रण नहीं होता है इसलिए सीएमओ जोड़ तोड़ करके जिले में तैनात होते हैं और डीएम के निर्देशों का अनुपालन नहीं करते। जिलाधिकारी सीएमओ से कार्य लेने में एक तरह से लाचार नज़र आते है। डीएम किस तरह से सीएमओ के आगे लाचार होते हैं। इसका उदहारण सीतापुर के जिलाधिकारी अखिलेश तिवारी का अपनी पीड़ा को व्यक्त करते हुए शासन को लिखा गया पत्र है। तीन पेज के प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं परिवार कल्याण को लिखे पत्र में जिलाधिकारी ने कहा है कि मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा उन्हें कोई सूचना नहीं दी जारी है और सहयोग भी नहीं किया जा रहा है। उन्होंने सीएमओ से एल-1 अस्पतालों में कितने मरीज़ भर्ती है, उनके इलाज़ की व्यवस्था क्या है, इसकी जानकारी मांगी थी, नहीं दिया गया, दूसरा कितने मरीज़ों के कितने दिनों के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था है, इसकी भी सुचना उपलब्ध नहीं कराई। यहीं नहीं उन्होंने चिकित्सा से लगे आशा एनम व अन्य स्टाफ के लिए मास्क सेनेटाइजर की व्यवस्था है या नहीं। चिकित्सा टीम को प्रशिक्षण दिया गया है या नहीं ? ये भी नहीं बता रहे है। पत्र में अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा है कि एल-1 चिकित्सालय एवं जिलाचिकित्सालय में मरीजों के उपचार हेतु कर्मचारियों को उपलब्ध कराये जाने वाली सामग्री और कार्य योजना क्या है सीएमओ ने इसका भी स्पष्ट जवाब नहीं दिया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी अलोक कुमार वर्मा ने जनपद स्तर के चिकित्सालयों में क्या सामग्री है किस चीज़ का क्रय किया जाना है यह भी जानकारी नहीं दी। विधायकों द्वारा दी गयी विधायक निधि की धनराशी के बारे में जानकारी नहीं कराई गयी है। जिलाधिकारी कितने लाचार है इसके लिए उन्होंने पत्र में गवाही के रूप में मुख्य विकास अधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक का भी जिक्र किया है।

डीएम ने कहा है कि बैठक में मुख्य विकास अधिकारी, पुलिस अधीक्षक एवं अधोहस्ताक्षरी द्वारा बार बार यह जानकारी चाही गई कि कोविड-19 का कोई प्रकरण पॉजिटिव पाया जाता है तो उस स्थिति में उस क्षेत्र को कितनी मेडिकल सर्विलान्स टीम लगाकर कितने समय में चेकिंग का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। इस संबंध में इनके द्वारा कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की गई और न ही कोई माइक्रोप्लान तैयार किया गया ।जबकि जनपद का माइक्रोप्लान तैयार करने एवं कोविड-19 पॉज़िटिव मरीज के क्षेत्र का माइक्रोप्लान तैयार कर प्रस्तुत करने के निर्देश पूर्व में दिये गये हैं।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा कोविड 19 पॉज़िटिव क्षेत्र में कार्य करने वाले स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग, राजस्व विभाग, विकास विभाग के कर्मचारियों को सुरक्षात्मक उपाय बरतने के बारे में प्रशिक्षण नहीं दिया गया और न ही बार बार कहने के उपरांत कोई कार्ययोजना बनाकर प्रस्तुत की गई ।

डीएम ने अपनी लाचारी का इज़हार करते हुये कहा है कि प्रतिदिन आयोजित बैठकों में बार बार पूछे जाने पर सीएमओ आलोक कुमार वर्मा ने उपरोक्त तैयारियों से अधोहस्ताक्षरी को अवगत नहीं कराया जा रहा है बल्कि सही उत्तर न देकर टालते रहते है, जिससे यह भी आभास होता है कि यह पदीय दायित्वों के प्रति एवं टीम भावना से कार्य करने के बारे मे बिलकुल सजग नहीं है। ऐसी स्थिति में यदी कोरोना पॉज़िटिव मरीज पाये जाते हैं तो इसके इलाज करने में असहज स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

डीएम ने कहा है कि जो विधान परिसद सदस्यों ने अपने निधि से पैसा दिया था उसका भी हिसाब नहीं दे रहे हैं। डीएम के इस पीड़ा को शासन ने संज्ञान में लिया और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सचिव वी हेकाली झिमोमी ने सीएमओ डॉक्टर आलोक वर्मा को चेतावनी पत्र दिया और निर्देश दिया कि वह डीएम के साथ मिल कर टीम भावना से कार्य करें। शासन के निर्देश भी मुख्य चिकित्सा अधिकारी पर टीम भावना से कार्य करना कोई मायने नहीं रखता। आज भी सीतापुर में जिलाधिकारी लाचार है और सीएमओ भारी है इसलिए शासन स्तर से सीएमओ से तालमेल के लिए विशेष अधिकारी भेजे जा रहे हैं।

इस सम्बन्ध में टीम-11 के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीतापुर के डीएम के स्थान पर विशेष सचिव स्तर अधिकारी को सीएमओ से समन्यव के लिए भेजा जायेगा।

नवनीत दीक्षित कैनविज टाइम्स सीतापुर

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