घूमने लगे कुम्हारों की उम्मीदों के चाक,दियों से होगा शहर पूरा रौशन

0
399

दीपावली को ले दीया बनाने में जुटे कुम्हार

सीतापुर

दीपो का त्योहार दीपावली का चहल-पहल शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के इलाकों तक में शुरू हो गयी है। लोग अपने-अपने घरों में दीपावली मनाने की तैयारी में जहां जुटे हैं। वहीं कुम्हार दीपक एवं पूजा-पाठ के लिए मिट्टी का बर्तन हाड़ी, कलश आदि बनाने में भी रात-दिन एक कर दिया है। पवित्र कार्तिक मास की शुरूआत होते ही हिन्दू धर्मावलम्बी दीपावली के साथ लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा मनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके तहत लोगों ने खान-पान में भी परिवर्तन कर दिया है। कार्तिक महीना के प्रवेश करते ही लोग मीट-मछली, अंडा-मुर्गा खाना तो दूर, लहसून-प्याज तक को खाना छोड़ दिया है। दीपावली को लेकर लोग अपने घरों की साफ-सफाई एवं रंग-रोगन में लगे हुए हैं। जिनके घर पक्का का बना हुआ है वैसे लोग घरों के कमरे व दीवारों को अपने औकात के मुताबिक सजाने संबारने में लगे हैं। वहीं जिनका घर मिट्टी से बना है वैसे लोग भी मिट्टी और गोबर से ही पुताई करने जुटे हुए हैं। कार्तिक महीने में बहुत सी महिलाएं तुलसी पेड़ के समीप संध्या में स्नान कर घी के दीये जलाने में जुटी हैं। वहीं बहुत सी महिलाएं आंवला वृक्ष की पूजा करने में लगी है। जबकि छठ रखने वाली महिलाएं गंगा स्नान करने के बाद पूरी पवित्रता के साथ छठ पूजा की तैयारी में जुटी हैं। इसके पूर्व दीपावली का त्योहार मनाने के लिए सफाई अभियान के बाद घरों की सजावट में जूट गई है। आज आधुनिक युग में भले ही घरों की सजावट के लिए रंग-बिरंगे चायनिज बल्बों की बिक्री बढ़ गयी है। हालांकि लोग आधुनिकता के दिखावे में इसकी खरीददारी भी जोर-शोर से करते हुए देखे जा रहे हैं, लेकिन पवित्रता के प्रतीक मिट्टी से बने हुए दीये की मांग आज भी पूर्व की तरह ही देखी जा रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए कुम्हार भी दीपावली के महीनों पूर्व से ही मिट्टी के दीये के साथ-साथ पूजा में लगने वाले अन्य तरह के मिट्टी के बर्तन एवं घरौन्दा के लिए खिलौना (चुक्का-चुक्यिा, चूल्हा) बनाने में रात दिन एक कर दिए हैं।विकास खण्ड गोंदलामऊ के बैसुवा,लौली,मोहकमगंज,उदइपुरआदि गांवों में इस पेशे से जुड़े लोग मिट्टी के दीये और बर्तन बनाने में जुटे हैं।बरसों से मिट्टी के बर्तन बेचकर पेट पालने वाले उदल का कहना है, “महंगाई की मार से मिट्टी भी अछूती नहीं रही, कच्चा माल भी महंगा हो गया है. दिन रात मेहनत के बाद हमें मजदूरी के रुप में अस्सी से 100 रुपये की कमाई हो पाती है. इससे परिवार का गुजारा नहीं हो पाता.”

परम्परागत तरीके से मनाए इस दीवाली को

ग्राम पंचायत कोरोना स्थित कुम्हारों की बस्ती में उनका परिवार मिट्टी का सामान तैयार करने में व्यस्त है,ग्राम कोरौना निवासी उत्तम कुमार ,सागर, गयाप्रसाद,लालताप्रसाद,सिवपाल,मेहदर,आदि कुम्हारों ने बताया कि मिट्टी के दीपक बनाने में मेहनत लगती है रोजाना 100 से 250 तक बना रहे हैं पूरा परिवार बनाता है मिट्टी के बर्तन गोंदलामऊ ब्लॉक क्षेत्र की ग्राम पंचायत कोरौना में कई कुम्हारो के परिवार मिट्टी के बर्तन वह दीपक बनाते हैं।संदना कस्बे से महज 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोपरामऊ के कुम्हार सियाराम पुत्र लल्ला ने बताया कि अब इस कार्य से परिवार का भरण-पोषण मुश्किल से ही हो पाता है। पहले मिट्टी आसानी से मिल जाती थी लेकिन अब मिट्टी मिलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।इसके चलते उनको दूर दराज के गाँवो से मिट्टी लानी पड़ती है।जिससे इस धंधे बचत नही रह गयी है।मिट्टी के व्यवसाय से जुड़े 70 वर्षीय कुम्हार सियाराम का कहना है कि अब मिट्टी के दीप का जमाना गया. कभी दीपावली पर्व से एक महीने पहले मोहल्लों में रौनक हो जाती थी और कुम्हारों में भी यह होड़ रहती थी कि कौन कितनी कमाई करेगा लेकिन अब तो खरीददार ही नजर नहीं आते है।कड़ी मशक्कत के बाद वाजिब दाम नहीं मिलने से कुम्हार अब अपना पैतृक व्यवसाय छोडने को मजबूर हैं क्योंकि इससे उनके परिवार का गुजर बसर मुश्किल हो गया है. मिट्टी के व्यवसाय से जुडे एक अन्य निर्माता का मानना है कि अभी भी कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें मिट्टी के बर्तन लुभाते हैं और जो मिट्टी से बनी वस्तुएं अच्छे दाम पर खरीदते हैं. कुल्हड, सकोरा और शादी में प्रयोग आने वाले मिट्टी के बर्तन आज भी प्रचलन में हैं जिससे कुछ कुम्हारों की रोजी रोटी चल जाती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here