नई दिल्ली। तत्काल तीन तलाक विधेयक के विरोध को लेकर कांग्रेस अंदरूनी तौर पर बंटी नजर आ रही है। पार्टी नेताओं के एक वर्ग का साफ कहना है कि तीन तलाक बिल के कुछ प्रावधानों का खुला विरोध करना भाजपा के सियासी फांस में फंसना है। इन नेताओं के अनुसार मौजूदा राजनीतिक हालात में पार्टी को तीन तलाक बिल पर मुखर विरोध की बजाय नरम सियासत का दांव चलना चाहिए।
सूत्रों के अनुसार बिल का मुखर विरोध नहीं करने की हिमायत करने वाले कांग्रेस नेताओं ने दो टूक कहा कि पहले ही तीन तलाक से लेकर ऐसे विवादास्पद मुद्दों का खामियाजा कांग्रेस लोकसभा चुनाव में भुगत चुकी है। पार्टी भले ही तत्काल तीन तलाक बिल का सैद्धांतिक विरोध नहीं कर रही बल्कि जेल जाने वाले प्रावधानों पर सवाल उठा रही मगर भाजपा इसे बिल के विरोध के रुप में प्रचारित कर रही है। लोकसभा के पार्टी के एक सांसद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट तीन तलाक को पहले ही खत्म कर चुका है फिर भी सरकार सियासी वजहों से कानून बना रही है तो हमें इसे ज्यादा तूल देकर भाजपा को बढ़त का मौका नहीं देना चाहिए।
तीन तलाक पर नरम सियासत के हिमायती पार्टी नेताओं के अनुसार लोकसभा चुनाव में भाजपा ने धु्रवीकरण में कोई कसर नहीं छोड़ी फिर भी मुस्लिम मतदाताओं का अपेक्षित वोट कांग्रेस को नहीं मिला। उलटे बहुसंख्यक वोटरों का बड़ा तबका इसकी वजह से पार्टी से दूर चला गया है। ऐसे में कांग्रेस के लिए जरूरी है कि बिल का मुखर विरोध करने की बजाय राजनीतिक चतुराई से कदम उठाना चाहिए। संसद के गलियारे में पार्टी रणनीतिकारों के समक्ष शुक्रवार को अपनी राय रखते हुए कुछ नेताओं ने साफ कहा कि तीन तलाक बिल मौजूदा स्वरुप में पारित हो जाता है तो भी संबंधित पक्ष के पास सर्वोच्च न्यायलय में न्यायिक समीक्षा का विकल्प मौजूद है।
सूत्रों के अनुसार इतना ही नहीं पार्टी के इन नेताओं ने लोकसभा में कांग्रेस के रणनीतिकारों पर भी सवाल उठाया। इनका कहना था कि मुजफ्फरपुर में सैकड़ों बच्चों की मौत के मामले को तवज्जो देने की बजाय सरकार तीन तलाक बिल को प्राथमिकता दे रही है तो फिर कांग्रेस को सदन में भाजपा की इस सियासत का पर्दाफाश करना चाहिए था।