लखनऊ। भारत तिब्बत समन्वय संघ के द्वारा सोमवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के डीपीए सभागार में एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें इस प्रेस वार्ता को प्रांत अध्यक्ष कुशाग्र वर्मा, प्रांत संयोजक महेश नरायन तिवारी, क्षेत्र संयोजक रामकुमार व प्रांत मुख्य संयोजक हिमांशु ने सम्बोधित किया। प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए बताया कि तिब्बत की आजादी और कैलाश मानसरोवर की मुक्ति भारत देश की अखंडता व सप्रभुता से प्रत्यक्ष जुड़ा हुआ विषय है। इस अलख जागरण में भारत तिब्बत समन्वय संघ यानी बीटीएसएस लगा हुआ है। उन्होने बताया कि 1959 में चीन द्वारा धोखे से हड़प लिया गया और वहां खुन खराबा कर स्थिति बेहद खराब कर दी गई। 1959 में वहा से जान बचाकर हजारों तिब्बतियों के साथ दलाई लामा ने भारत में शरण ली। उसके बाद हिदी चीनी भाई भाई का नारा लगाते हुए चीन ने हम पर 1962 में आक्रमण कर देश का बहुत बड़ा भूभाग हड़प लिया, जो आज भी उसके कब्जे में है। आज भी भारत की तिब्बत सीमा पर चीन दुष्टता व छल करता रहता है। डोकलाम व गलवान में भारत से हारने के बाद भी चीनी अपने उत्पात से बाज नहीं आते। चीन के खतरों से लड़ने के लिए लद्दाख से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक की साढ़े तीन हजार किलोमीटर लंबी सीमा रेखा पर भारत को अपनी सेना लगानी पड़ती है। इस पर हजारों रुपए प्रतिदिन खर्च होते हैं। चीन के षडयन्त्रों से देश को बचाने के लिए भारत सरकार आज भी बहुत प्रयास कर रही है लेकिन यह प्रयास अब प्रत्येक भारतीय को करने की आवश्यकता है। देश की सुरक्षा के साथ साथ शिव भक्तों का आह्वान भी भारत तिब्बत समन्वय संघ कर रहा है। कैलाश मानसरोवर तिब्बत में स्थित है लेकिन उस पर चीन द्वारा कब्जा कर लेने के बाद से वहां के दर्शन करने के लिए शिव भक्तों की राह में चीन इतने रोड़े अटकाता है कि वह चाहता है कि वहां कोई ना आए। इसलिए इस स्थान को भी चीन के चंगुल से मुक्त कराया जाना आवश्यक संभव होगा। इसलिए राष्ट्र रक्षा व धर्म रक्षा का यह युद्ध है, जो सरकार के साथ साथ समूचे विश्व समुदाय को करना है। इसकी अगुवाई भारत तिब्बत समन्वय संघ कर रहा है। चीन वास्तव में कोरोनावायरस देने वाला, हर प्रकार के आतंक को प्रायोजित करने वाला और दुनिया का सर्वाधिक दमनकारी सोच रखने वाला एक ऐसा देश है, जो मानवता पर कलंक है इसलिए सब को जागरूक होना होगा। जिसको लेकर संघ ने आगामी 30 अप्रैल को पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के चारों प्रांतों अवध प्रांत, कानपुर बुदेलखंड प्रांत, गोरक्ष प्रांत और काशी प्रांत के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ क्षेत्रीय अधिवेशन लखनऊ में करने जा रहे हैं। इसका प्रमुख विषय यही है कि हमें आक्रामक होकर कार्य करना होगा।