स्कूल फीस बनी अभिवावकों समस्या

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आम अभिवावक का छलकता दर्द

प्रदेश में कोविड 19 के दौरान लॉक डाउन और आमजन के आर्थिक संकट के दौर से गुजरने के कारण निजी एवं मिशनरी स्कूल के संचालको द्वारा 3 महीने की फीस लेने से मान नहीं रहे मामला सीतापुर के सेक्रेट हार्ट इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को मैसेज के माध्यम से फीस जमा करने का मैसेज किया जा रहा है लॉक डाउन में लोगों की नौकरियां चली गई देश प्रदेश में लाक डाउन चल रहा हैं जिससे काम धंधे बंद हो गए वहां पर भी कामकाज नहीं हो पा रहे हैं लोग आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं तथा उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं है तथा इस महामारी के संकट में मार्च से जून का महीना एक ऐसे समय से गुजरना पड़ा है जिससे पूरे देश दुनिया की आर्थिक व्यवस्था को जमीन जमीन पर दिया सरकारी आर्थिक पैकेज ला रही हैं क्योंकि देश में कई लोगों की नौकरियां जा चुकी है या जाने की कगार पर है तथा जिनकी प्राइवेट नौकरियां चल भी रही है उनमें से बहुत लोगों को या तो वेतन नहीं मिला क्या नाम मात्र से ही संतुष्टि करनी पड़ी सारे उद्योग धंधे बंद हैं छोटदुकानदारो काफी हाल इस समय किसी से छुपा नहीं है लेकिन ऐसे में प्रदेश के स्कूलों का अभिभावक को 3 महीने की फीस जमा करने का संदेश उनके फोन पर भेजा जा रहा है जिससे अभिभावकों को आर्थिक संकट में परेशान करने का काम किया जा रहा है इसे एक गैर जिम्मेदाराना हरकत कहना गलत बिल्कुल ना होगा क्योंकि जब भी देश के किसी कोने में कोई प्राकृतिक विपदा आती है सबसे पहले स्कूलों से ही आपदा कोष में दान के नाम पर अभिभावकों की जेब ढीली की होती है कभी जब स्कूल की बिल्डिंग में काम होता है तब भी बच्चों के अभिभावको पर भी भार पड़ता है आज जब स्कूल यह मानते हैं कि देश के सभी कार्य बंद हैं और पढ़ाई पूरी तरह से नहीं हो पा रही है फिर इस समय फीस मांगने का क्या मतलब बनता हैं यह बात अलग है कि उनको भी अपने स्टाफ को वेतन देना होगा लेकिन इसके लिएऔर भी कई विकल्प हो सकते हैं आज उन स्कूलों के भी फीस जमा करने का संदेश आया तो मिशन से चल रहे है जिनका स्कूल चलाने का मतलब व्यापार नहीं सिर्फ शिक्षा देना ही मात्र था जिसके नाम पर सरकार ने स्कूलों को कौड़ी के रेट पर जमीन तक दी क्या इस समय उनके आदर्शों को दीमक लग गया है शिक्षा अब उनका व्यवसाय बन चुका है अगर ऐसा है तो अब शिक्षा का कोई मूल्य नहीं बचा| सरकार को इस मामले में गंभीरता से विचार करके इसके व्यवसाय के कारण को रोकना चाहिए एक इंसान जो इस भीषण समस्या में अपने परिवार को किसी तरह पेट भर पाने की स्थिति में नहीं है वह 3 महीने की फीस कहा से भरेगा ?और फिर तब जब पढाई भी नही हुई हो ..मानवता नही बची! और ये एक चिंता की बात है…आज ये विषय सोचने पर विवश करता है कि जहां ने यह सीखा कि पैसा नहीं मानता बड़ी होती है आज वहां से शायद हमारे बच्चों को मानवता से ज्यादा पैसा बड़ा होता है ये सिखाया जा रहा है कि देश का भविष्य खाक्य होगा सीतापुर के सेक्रेड हार्ट इंटर कॉलेज के स्कूल कॉलेज के प्रबंध समिति द्वारा बच्चों के अभिभावकों को मैसेज के माध्यम से फीस जमा करने को कहा जाता है तथा सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं ऐसे विद्यालयों पर सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए

नवनीत दीक्षित / रंजीत त्रिपाठी

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