नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट के कामकाज में कागज के दोनों तरफ प्रिंट किया जाता तो एक साल में 2,953 पेड़ और 24.6 करोड़ लीटर पानी बच सकता था। अक्टूबर 2016 से सितंबर 2017 के बीच सुप्रीम कोर्ट में 61,520 केस दर्ज हुए थे। इनसे जुड़े प्रिंट कागज के दोनों तरफ लिए जाते तो पर्यावरण को फायदा होता। ब्लूमबर्ग और इंडियास्पेंड की संयुक्त रिपोर्ट के मुताबिक थिंक टैंक सेंटर फॉर अकाउंटिबिलिटी एंड सिस्टेमिक चेंज (सीएएससी) के एनालिसिस में यह सामने आया।
एक साल में 4.92 करोड़ कागज खर्च होने का अनुमान –
सीएएससी के विश्लेषण के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में दायर 61,520 केसों में 4.92 करोड़ कागज खर्च होने का अनुमान है। एक रिसर्च पेपर के मुताबिक एक पेड़ से कागज की 8,333 शीटें बनती हैं। एक शीट तैयार करने में 10 लीटर पानी खर्च होता है। इस तरह 4.92 करोड़ कागजों के लिए 5,906 पेड़ खर्च हुए होंगे। लेकिन, पेपर के दोनों तरफ प्रिंट किया जाता तो आधे पेड़ बच जाते। इससे जो पानी की बचत होती उससे 1.2 करोड़ लोगों की जरूरतें पूरी हो जातीं। पिछले महीने की 5 तारीख को सीएएससी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। इसमें मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट के मामलों में पेपर के दोनों तरफ प्रिंट करने की व्यवस्था के निर्देश दिए जाएं।