इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन महीनों के अंदर उन उम्मीदवारों की भर्ती करने के आदेश दिए हैं जो साल 2010 में टीजीटी परीक्षाओं के गणित विषय के संशोधित परिणाम में पास हुए हैं। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि जिन लोगों की भर्ती की गई है लेकिन वो संशोधित परिणाम के बाहर हैं, उन्हें नौकरी से नहीं निकाला जाएगा। खबर के मुताबिक यह आदेश जज संगीता चंद्रा की एकल बेंच ने दिया है। कोर्ट के इस आदेश के बाद पिछले आठ सालों से वनवास काट रहे अभ्यर्थियों की भी सरकारी नौकरी की ख्वाहिश पूरी होगी, उन्हें अब जल्द ही नियुक्त किया जाएगा। इसके अलावा हाईकोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि अगर संशोधित परिणाम के बाद सफल होने वाले अभ्यर्थियों के लिए पद ना होत तो मैनेजमेंट के कॉलेजों में पद सृजित कर उन्हें नियुक्ति दी जाए।
बता दें कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड (UPSESSB) ने साल 2010 में टीजीटी यानी प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक गणित के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसमें कुल 579 भर्तियों के लिए आवेदन मंगाए गए। बाद में भर्ती के लिए परीक्षाएं हुईं और परिणाम 28 नवंबर, 2011 को जारी हुआ। इसके बाद चयनित अभ्यार्थियों को उनकी जॉइनिंग दे गई थी। मगर भर्ती परीक्षा में पूछे गए सवाल को लेकर कई नाकाम उम्मीदवारों ने सवाल उठाए थे और हाईकोर्ट में केस कर दिया।
इसपर कोर्ट ने परीक्षा में पूछे गए सवालों की जांच कराने का आदेश दिया। इसके बाद UPSESSB ने 16 दिसंबर, 2014 को संशोधित परिणाम जारी किया तो दर्जनों अभ्यर्थी इस लिस्ट से बाहर हो गए जबकि दर्जनों अन्य अभ्यर्थी शामिल हो गए जिन्होंने पिछली बार परीक्षा परिणाम असफलता पाई थी।
इसके बाद चयनित सूची से बाहर होने वाले अभ्यर्थियों ने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली और एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी। इसके बाद डबल बेंच ने फिर से मामले की नए सिरे जांच के आदेश दिए। इसपर कोर्ट ने अब दोनों पक्षों को राहत दी है।