कोर्टरूम ड्रामा और भारी डायलॉग से भरपूर है अमिताभ-इमरान की फिल्म ‘चेहरे’

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मुंबई: निर्देशक रूमी जाफरी की फिल्म ‘चेहरे’ में अमिताभ बच्चन, इमरान हाशमी, अन्नू कपूर, रिया चक्रवर्ती और क्रिस्टल डिसूजा जैसे मशहूर एक्टर्स काफी एहम किरदारों को निभाते हुए नज़र आ रहे है। फिल्म में भारी डायलॉग है और रही बात इस फिल्म की कहानी और लेखन की तो दोनों कमज़ोर है जिसके वजह से ये फिल्म दर्शकों के उम्मीदों को निराश कर सकती है। इससे पहले भी एक और बड़ी स्टारकास्ट वाली फिल्म रिलीज़ हो चुकी है जिसका नाम था बेल बॉटम। फिल्म के कलाकारों ने शुरुआत अच्छी की है लेकिन जल्द ही कहानी से लेकर अभिनय तक बेअसर साबित होते हैं।

इस फिल्म के कहानी में एक एड एजेंसी प्रमुख समीर मेहरा को दिखाया जाता है जिसका किरदार इमरान हाशमी निभा रहे है। समीर मेहरा एक भयंकर तूफान में फंस जाते हैं। जिसके बाद रिटायर्ड कोर्ट के अधिकारी उन्हें सुनसान घर में रात को आमंत्रित करते हैं। अमिताभ बच्चन एक सनकी सरकारी वकील लतीफ जैदी के रोल में दिखेंगे। वहीं, अनु कपूर बचाव पक्ष के वकील परमजीत सिंह, धृतमान चटर्जी जज जगदीश आचार्य और रघुबीर यादव अति उत्साही प्रॉसिक्यूटर हरिया जाटव के किरदार में हैं।

रूमी और रंजीत ने इस फिल्म के भारी-भरकम डायलॉग लिखे हैं। अमिताभ बच्चन का सात मिनट लंबा मोनालॉग है। वह पीड़ितों की दुर्दशा, उरी सर्जिकल अटैक और भारत-पाक तनाव पर बोलते हैं, जो कि बहुत ऊपरी तौर पर लगता है। ये सभी किरदार मिलकर क्रिमिनल केस का मॉक ट्रायल करते हैं जिसे वे ‘असली खेल’ कहते हैं, जहां इंसाफ नहीं केवल फैसला होता है। यह करीब 2 घंटे और 20 मिनट तक चलता है। समीर पर अपने बॉस के हत्या का मुकदमा चलता है। कहने को तो ‘चेहरे’ एक थ्रिलर फिल्म है लेकिन यह रोमांच पैदा करने में विफल रहती है।

फिल्म को कई ट्विस्ट और टर्न्स के साथ शूट तो किया गया है लेकिन जो चीजें होने वाली होती हैं उनके बारे में पहले ही अंदाजा हो जाता है। लेखक रंजीत कपूर की कहानी में कई जगह तालमेल की भारी कमी दिखती है। जब कहानी रोमांचक लगने लगती है तो वह इतनी खींच जाती है कि अपनी गति खो देती है। एडिटिंग और टाइट बनाकर फिल्म को छोटा किया जा सकता था।

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