पोर्न वेबसाइट्स पर बैन से भड़के तकनीकी दिग्गज, यह बताई वजह

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भारत में खुलने वाली करीब 800 पॉर्न वेबसाइट को सरकार ने बंद कर दिया है। लेकिन सरकार के इस एक्शन पर तकनीकी दिग्गज भड़क गए हैं। सरकार ने करीब तीन साल पहले भी ऐसा ही आदेश जारी किया था, जिसे बाद में वापस ले लिया गया। एक्सपर्ट्स का इस बारे में कहना है कि सरकार के इस फैसले में कानूनी मंजूरी नहीं है क्योंकि देश में ऐसा कोई कानून नहीं है जो पोर्नोग्राफ़ी को प्रतिबंधित करता हो। उनका कहना है कि बच्चों को लेकर बने वीडियो और ऐसी ही अन्य कंटेंट परोसने वाली वेबसाइटों पर सख्त कार्रवाई और प्रवर्तन की आवश्यकता है, विशेषज्ञों का कहना है कि पॉर्न साइटों पर बैन लगाने का कोई आधार नहीं है। सरकार ने 22 अक्टूबर को पॉर्नोग्राफी पर बड़ा हमला करते हुए 827 साइटें ब्लॉक कर दीं।

टीओआई की खबर के मुताबिक, साइबर लॉ के विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने कहा, भारत के किसी कानून में पॉर्न देखना अपराध नहीं माना गया है। उन्होंने कहा, चाइल्ड पॉर्नोग्राफी को टैकल करने के लिए पूरी तरह से समाधान निकालना होगा। बैन लगाना व्यवहारिक हल नहीं है। उन्होंने कहा, पूरी तरह से इन वेबसाइट पर पूरी तरह से बैन लगाना समाधान नहीं है। इस बारे में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स और टेलीकॉम कंपनियों को आदेश दिया गया था। बता दें कि, उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को अश्लील सामग्री प्रसारित करने वाली 827 वेबसाइटों को ब्लॉक करने के लिए निर्देश दिया था। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 857 वेबसाइटों को ब्लॉक करने के लिए कहा है, जबकि मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी ने पाया कि 30 वेबसाइट्स पर कोई अश्लील सामग्री नहीं है। रिलायंस जिओ ने इस आदेश का पालन करते हुए इस पहसे फैसला लिया था। कंपनी ने अपने नेटवर्क पर कुछ वेबसाइट्स को ब्लॉक भी कर दिया था। हालांकि कंपनी ने इसके बारे में किसी तरह की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की थी।

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