गेहूं की सरकारी खरीद निर्धारित लक्ष्य के आधे रास्ते में अटकी, खुले बाजार में किसानों को मिल रहा एमएसपी से अधिक मूल्य

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प्राइवेट प्रतिष्ठानों के एजेंट गांवों में किसानों से सीधी खरीद भी कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में खरीद को तेज करने के लिए सरकार ने किसानों से घर से गेहूं खरीदने की योजना तैयार की है लेकिन उसे कामयाबी नहीं मिल पा रही है।

 

खुले बाजार में गेहूं का मूल्य घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक बोले जाने से ज्यादातर किसान निजी व्यापारियों को अधिक मूल्य पर गेहूं बेच रहे हैं। यही वजह है कि अप्रैल महीने के दौरान गेहूं की सरकारी खरीद पिछले साल के मुकाबले 45 प्रतिशत पीछे है। सप्ताह दर सप्ताह गेहूं की सरकारी खरीद घट रही है। एक मई को जारी गेहूं की सरकारी खरीद का आंकड़ा 1.62 करोड़ टन पहुंच गया है। जबकि पिछले साल की इसी अवधि तक कुल 2.88 करोड़ टन गेहूं की खरीदा जा चुका था। कुल 14.70 लाख किसानों से खरीद हुई है। निर्यातकों और बड़ी उपभोक्ता कंपनियों की खरीद से बाजार में गेहूं का मूल्य बढ़ा हुआ है।

 

केंद्रीय पूल में सर्वाधिक गेहूं की भागीदारी करने वाले पंजाब में अब तक 89.14 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है। जबकि पिछले साल की इसी अवधि तक कुल 1.12 करोड़ टन गेहूं की खरीद हो गई थी। इसी तरह हरियाणा में पिछले रबी मार्केटिंग सीजन में हुई 80.24 लाख टन के मुकाबले चालू सीजन में केवल 37.24 लाख टन गेहूं ही खरीदा जा सका है। यहां की मंडियों में निजी व्यापारिक प्रतिष्ठान भी आगे बढ़कर गेहूं की खरीद कर रहे हैं।

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