आत्मनिर्भर भारत की ‘नई शिक्षा नीति 2020’

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विज्ञान और गणित को बढ़ावा दिया जाएगा, हर सीनियर सेकंडरी स्कूल में science or maths विषय अनिवार्य होंगे।

– ECCE (Early Childhood Care and Education) के अंतर्गत प्री प्राइमरी शिक्षा आंगनबाड़ी और स्कूलों के माध्यम से।
– मिड डे मील के साथ हेल्दी ब्रेकफास्ट भी स्कूलों में दिया जाएगा।

– शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से हटाया जाएगा, सिर्फ चुनाव ड्यूटी लगेगी, BLO ड्यूटी से शिक्षक हटेंगे, MDM से भी शिक्षक हटेंगे।

– ग्रामीण इलाकों में स्टाफ क्वार्टर बनाए जाएंगे, केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर।

– SSRA (State School Regulatory Authority) बनेगी जिसके चीफ, शिक्षा विभाग से जुड़े होंगे।

– 4 ईयर इंटेग्रेटेड बीएड, 2 ईयर बीएड or 1 ईयर B Ed course चलेंगें।

– TET लागू होगा up to सेकंडरी लेवल।

– स्कूलों में एसएमसी/एसडीएमसी के साथ SCMC यानी स्कूल कॉम्प्लेक्स मैनेजमेंट कमेटी बनाई जाएगी।

– शिक्षक नियुक्ति में डेमो/स्किल टेस्ट और इंटरव्यू भी शामिल होंगे।

– नई ट्रांसफर पॉलिसी आयेगी जिसमें ट्रांसफर लगभग बन्द हो जाएंगे, ट्रांसफर सिर्फ पदोन्नति पर ही होंगे।

– RTE को कक्षा 12 तक या 18 वर्ष की आयु तक लागू किया जाएगा।

– Three language based स्कूली शिक्षा होगी।

– Foreign language course भी स्कूलों में शुरू होंगे।

– स्थानीय भाषा भी शिक्षा का माध्यम होगी।

– NCERT पूरे देश में नोडल एजेंसी होगी।

– स्कूलों में राजनीति व सरकार का हस्तक्षेप लगभग समाप्त हो जाएगा।

– क्रेडिट बेस्ड सिस्टम होगा जिससे कॉलेज बदलना आसान और सरल होगा बीच मे कोई भी कॉलेज बदला जा सकता है।

– नई शिक्षा नीति में सिर्फ बीएड इण्टर के बाद 4 वर्षीय

नवनीत दीक्षित

बीएड, स्नातक के बाद 2 वर्ष बीएड, परास्नातक के बाद 1 वर्ष का बीएड कोर्स होगा।

मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी। 34 साल बाद भारत की नई शिक्षा नीति आई है। स्कूल-कॉलेज की व्यवस्था में बड़े बदलाव किए गए हैं। नई शिक्षा नीति’ से शिक्षा को अधिक व्यावहारिक, वैज्ञानिक, रोजगार परक, मूल्यों से जुड़ा और छात्रों व अध्यापकों के अनुकूल बनाने के लिए PM श्री नरेन्द्र मोदी जी का हार्दिक अभिनंदन।

नई शिक्षा नीति के लिए 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक्स, 676 जिलों से सलाह ली गई। सरकार की ओर से बताया गया कि नई शिक्षा नीति के तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहे तो पहले कोर्स से सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर कर सकता है।

उच्च शिक्षा में हम वर्ष 2035 तक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो में 50 फीसदी तक पहुंचेंगे। इसके लिए मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लाई जा रहा है।

*ड्रॉप आउट नहीं होंगे, मिलेगा प्रमाण पत्र*
आज की व्यवस्था में इंजीनियरिंग के 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद अगर कोई छात्र आगे नहीं पढ़ सकता है तो उसके पास कोई उपाय नहीं है। छात्र आउट ऑफ द सिस्टम हो जाता है। नए सिस्टम में ये रहेगा कि एक साल के बाद सर्टिफिकेट, दो साल के बाद डिप्लोमा, तीन या चार साल के बाद डिग्री मिल सकेगी।

मल्टीपल एंट्री थ्रू बैंक ऑफ क्रेडिट के तहत छात्र के फर्स्ट, सेकंड ईयर के क्रेडिट डिजीलॉकर के माध्यम से क्रेडिट रहेंगे। जिससे कि अगर छात्र को किसी कारण ब्रेक लेना है और एक फिक्स्ड टाइम के अंतर्गत वह वापस आता है तो उसे फर्स्ट और सेकंड ईयर रिपीट करने को नहीं कहा जाएगा। छात्र के क्रेडिट एकेडमिक क्रेडिट बैंक में मौजूद रहेंगे. ऐसे में छात्र उसका इस्तेमाल अपनी आगे की पढ़ाई के लिए करेगा।

*मनमुताबिक विषयों का चयन*
मौजूदा शिक्षा नीति के तहत फिजिक्स ऑनर्स के साथ केमिस्ट्री, मैथ्स लिया जा सकता है। इसके साथ फैशन डिजाइनिंग नहीं ली जा सकती थी. लेकिन नई नीति में मेजर और माइनर की व्यवस्था होगी। जो मेजर प्रोग्राम हैं उसके अलावा माइनर प्रोग्राम भी लिए जा सकते हैं। इसके दो फायदे होंगे, आर्थिक या अन्य कारण से जो लोग ड्रॉप आउट हो जाते हैं वो वापस सिस्टम में आ सकते हैं। इसके अलावा जो अलग-अलग विषयों में रूचि रखते हैं, जैसे जो म्यूजिक में रूचि रखते हैं, लेकिन उसके लिए कोई व्यवस्था नहीं रहती है। नई शिक्षा नीति में मेजर और माइनर के माध्यम से ये व्यवस्था रहेगी।

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