डॉक्टरों ने मृत घोषित किया था, 17 घंटे बाद पंचनामे में जिंदा मिली महिला

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रायपुर। डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल रायपुर में भर्ती जिस महिला को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया था, वह मृत घोषित किए जाने के बाद 17 घंटों से जिंदा है और उसका इलाज इसी अस्पताल में चल रहा है। यह छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है।

15 सितंबर को रायगढ़ के कनाटा हर्डी निवासी चमरिन बाई के सिर का ऑपरेशन हुआ था। वह न्यूरो आइसीयू में थी। मंगलवार शाम पांच बजे पीजी डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजन रोते-बिलखते रहे। महिला सड़क हादसे में घायल हुई थी, इसलिए पोस्टमार्टम जरूरी था। डॉक्टरों ने शव को पीएम के लिए भेजने को कहा, लेकिन ले कोई नहीं गया। शव वार्ड में ही पड़ा रहा।

बुधवार सुबह करीब सवा 10 बजे अस्पताल का वार्ड ब्वॉय मृतक की सूचना (डेथ मेमो) लेकर मौदहापारा थाना पहुंचा। मौदहापारा पुलिस पंचनामा के लिए करीब 11 बजे थाने से निकली, इसी बीच थाना प्रभारी उत्तम साहू को सीएमओ डॉ. जेपी देवांगन का फोन आया कि महिला जिंदा है। इस दौरान अस्पताल में हड़कंप मचा हुआ था, जिस महिला को मृत घोषित किया गया था उसके शरीर में एक घंटे बाद ही परिजनों ने हरकत देखी। फिर से जांच की गई तब चिकित्सकों ने उसे जिंदा बताकर भर्ती कर लिया। आनन-फानन में उसे ऑक्सीजन दिया गया, ड्रिप चढ़ाई गई, इंजेक्शन दिए जाने लगे।

आखिर लापरवाही किसकी

महिला को मृत घोषित करने के बाद डॉक्टरों ने दोबारा उसकी तरफ रुख नहीं किया। डॉक्टर्स की घोषणा के बाद परिजन भी निराश होकर चादर से ढक चुके थे। डॉक्टरों ने पैरामीटर्स देखकर ही मृत घोषित किया होगा? प्रबंधन ड्यूटी डॉक्टर्स को नोटिस दे रहा है।

ऐसे करते हैं मृत घोषित

पल्स देखना, आंख की पुतली देखना और ईसीजी लेना। इसीजी से दिल की धड़कन का पता नहीं चलने पर मृत घोषित कर दिया जाता है।

‘सस्पेंडेड एनिमेशन” मान रहे चिकित्सक

चिकित्सकों ने मृत घोषित करने से पहले महिला की ईसीजी कराई या नहीं, यह जांच में स्पष्ट होगा लेकिन कुछ चिकित्सक कहते हैं कि कुछ अपवाद केस में मरीज की पल्स, पुतली, धड़कन कुछ देर के लिए स्थिर हो जाने के मामले सामने आते रहे हैं। इसे ‘सस्पेंडेड एनिमेशन” कहा जाता है।

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