नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूण और जस्टिस ऋृषिकेश राय के डिविजन बेंच ने बिड़ला समूह की अपील खारिज कर दी। डिविजन बेंच ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट ने लोढा के खिलाफ दायर कंटेंप्ट पिटिशन को खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई थी। इस तरह हर्षवर्द्धन लोढा के एम पी बिड़ला ग्रुप की कंपनियों के निदेशक और चेयरमैन बने रहने पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई।
फॉक्स एंड मंडल के पार्टनर एडवोकेट देवांजन मंडल ने यह जानकारी देते हुए बताया कि लोढा के खिलाफ चेयरमैन पद नहीं छोड़ने को लेकर दायर कंटेंप्ट मामले को सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इससे न्यायिक प्रक्रिया में हमारी आस्था मजबूत हुई है। एमपी बिड़ला ग्रुप की कंपनियों के कामकाज में दखल देने की अनवरत कोशिश की जा रही थी। उन्होंने कहा कि बिड़ला ग्रुप की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में नामी गिरामी एडवोकेट पैरवी कर रहे थे। बिड़ला ग्रुप की अपील को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को आदेश दिया है कि इस मामले में दायर सभी अपीलों का निपटारा अगले साल 31 मार्च तक कर दिया जाए। लोढा बिड़ला कॉरपोरेशन, यूनिवर्सल केविल्स, विंध्या टेलिलिंक्स और बिड़ला केविल के चेयरमैन और एमडी हैं। एडवोकेट मंडल ने बताया कि 2020 में 18 सितंबर को जस्टिस शहीदुल्लाह मुंशी के आदेश के बाद से ही अपील और काउंटर अपील का सिलसिला चल रहा है। उनके कोर्ट में प्रियंबदा देवी बिड़ला की वसीयत पर सुनवायी हो रही थी। उन्होंने अपने फैसले में कहा था कि एमपी बिड़ला ग्रुप की कंपनियों के परिचालन के मामले में दखल देने का न्यायिक अधिकार उनके पास नहीं है। उनके इस आदेश के खिलाफ लोढा की तरफ से हाई कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस टी वी राधाकृष्णन और जस्टिस शंपा सरकार के डिविजन बेंच में अपील की गई थी। डिविजन बेंच ने अपील पर सुनवायी के बाद एक अक्टूबर को एक अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा था कि लोढा एमपी बिड़ला ग्रुप की कंपनियों के चेयरमैन बने रहेंगे। एडवोकेट मंडल ने बताया कि तत्कालीन चीफ जस्टिस राधाकृष्णन के डिविजन बेंच ने लोढा और एमपी बिड़ला ग्रुप की कंपनियों के खिलाफ दायर बहुत सारे कंटेंप्ट पिटिशनों को खारिज कर दिया था। बिड़ला ग्रुप की तरफ से एडवोकेट कपिल सिब्बल ने बहस की। विंध्या टेलिलिंक्स की तरफ से बहस करते हुए एडवोकेट श्याम दीवान ने कहा कि प्रियंवदा बिड़ला इस्टेट के प्रभारी तीन एडमिनिस्ट्रेटरों में से दो पिछले दो साल से कंपनियों के समूह और यहां तक कि स्वाधीन ट्रस्ट और सोसाइटियों के मामले में दखल देते रहे हैं। एडवोकेट मंडल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बिड़ला समूह को एक और झटका लगा है।