विकास दुबे इतना शातिर था तो पैरोल कैसे मिली -सुप्रीम कोर्ट

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पीठ ने कहा, ”एक व्यक्ति, जिसे सलाखों के पीछे होना चाहिए था, उसे जमानत मिल जाना संस्था की विफलता है। हम इस तथ्य से स्तब्ध हैं कि अनेक मामले दर्ज होने के बावजूद विकास दुबे जैसे व्यक्ति को जमानत मिल गई।”

नवनीत दीक्षित

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि विकास दुबे मुठभेड़ की जांच के लिए गठित समिति में शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को शामिल करने पर विचार किया जाए। साथ ही न्यायालय ने टिप्पणी की गैंगस्टर विकास दुबे जैसे व्यक्ति के खिलाफ अनेक मामले दर्ज होने के बावजूद उसे जमानत मिलना संस्था की विफलता है।

चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने विकास दुबे की पुलिस मुठभेड़ में मौत और कानपुर में 8 पुलिसकर्मियों के नरसंहार से संबंधित याचिकाओं पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां कीं।

सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की तरफ से तुषार मेहता ने कहा कि मुठभेड़ सही थी, वो पैरोल पर था, हिरासत से भागने की कोशिश की. तुषार मेहता की इस दलील के बाद सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि विकास दुबे के खिलाफ मुकदमे के बारे में बताएं. आपने अपने जवाब में कहा है कि तेलंगाना में हुई मुठभेड़ और इसमें अंतर है, लेकिन आप कानून के राज को लेकर ज़रूर सतर्क होंगे. आपने रिटायर्ड जज की अगुआई में जांच भी शुरू की है. प्रशांत भूषण ने भी पीयूसीएल की ओर से मुठभेड़ पर सवाल उठाए हैं.

सीजेआई ने सुनवाई के दौरान ये भी कहा कि हैरानी की बात है इतने केस में शामिल शख्स बेल पर था और उसके बाद ये सब हुआ. कोर्ट ने इस पूरे मामले पर तफ्सील से रिपोर्ट मांगते हुए कहा कि ये सिस्टम का फेल्योर दिखाता है. कोर्ट ने कहा कि इससे सिर्फ एक घटना दांव पर नहीं है, बल्कि पूरा सिस्टम दांव पर है. वहीं, यूपी सरकार जांच कमेटी के पुनर्गठन पर सहमत हो गई है.

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