डिजिटल डेस्क : लोकल ट्रेन चलाने को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट कर दिया कि फिलहाल राज्य सरकार लोकल ट्रेनें चलाने के मूड में नहीं है। यहां उल्लेखनीय है कि इस दिन कई जगहों पर यात्रियों ने लोकल ट्रेन चलाने की मांग पर स्टेशनों पर अवरोध किया और पुलिस के वाहनों पर तोड़फोड़ के साथ ही पुलिस कर्मियों से मारपीट भी की गयी। लोकल ट्रेन चलाने के मुद्दे पर सीएम ने कहा, ‘कोविड के नियम मानकर चलने ही होंगे। पहले कोविड के आंकड़े पूरी तरह कम होने दें। अभी ट्रेन चलाने पर सबको कोविड होगा, तब कौन देखेगा। इसके बावजूद दुकान वगैरह सब चालू है। अन्य राज्यों में तो कर्फ्यू जैसे हालात हैं जबकि हमारे यहां ऐसा कुछ नहीं है। ऐसे में चिंता करने का कुछ नहीं है, वर्क फ्रॉम होम भी कई जगहों पर चल रहा है। सब्जी विक्रेता गाड़ियों से आ रहे हैं, जहां जरूरी है, वे कंपनियां अपने स्टाफ को ला रही हैं।’
मुकुल भाजपा के सदस्य, पीएसी चेयरमैन बनाने में क्या असुविधा ?
वहीं विधानसभा में पीएसी के चेयरमैन के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि नामांकन कोई भी जमा कर सकता है और जिसने नामांकन दाखिल किया है, मुकुल राय, वह तो भाजपा के सदस्य हैं, इसमें असुविधा क्या है। मुकुल को कालिम्पोंग से यहां तक कि विनय तमांग ने समर्थन किया, हम भी समर्थन देंगे। ये स्पीकर का निर्णय है। वोट होने पर हम वोट के मार्फत जिसे चाहे उसे जितायेंगे। यहां उल्लेखनीय है कि मुकुल राय भले ही तृणमूल में चले गये हैं, लेकिन खाता-कलम में अब भी वह कृष्णानगर उत्तर से भाजपा के विधायक हैं। ऐसे में अगर उन्हें पीएसी का चेयरमैन बनाया जाता है तो इसमें कोई परंपरा नहीं टूटेगी।
पहले उपचुनाव घोषित करे चुनाव आयोग
मुख्यमंत्री ने पालिका चुनाव के मुद्दे पर कहा कि पहले चुनाव आयोग उपचुनाव की बात तो करे, हम तैयार हैं और इंतजार कर रहे हैं। चुनाव करवाने में हमें कोई डर नहीं है, लेकिन विधानसभा चुनाव के समय से ही 7 उपचुनाव राज्य में बाकी हैं। ये नहीं होने तक कैसे पालिका चुनाव करवाये जाएंगे।
मैं सैल्यूट करती हूं किसानों को
इधर, किसान बिल को लेकर किसानों के प्रदर्शन पर सीएम ने कहा, ‘भाजपा सबको ही आतंकवादी कहती है। सबको अफगानिस्तान दिखाती है, सिर्फ वो राष्ट्रवादी और बाकी सब आतंकवादी हैं ? कोई विरोध करता है तो वह आतंकवादी हो गया ? जो देश के लोगों को सही ढंग से वैक्सीन भी मुहैया नहीं करा पाते, कोरोना से मौत होने पर शवों को गंगा में बहा दिया जाता है, उसका रिकॉर्ड तक नहीं रखते, वे कैसे इतनी बड़ी बातें कर रहे हैं। किसान अपना काम कर रहे हैं, किसान या कोई भी आंदोलन कर ही सकता है, ये उनका लोकतांत्रिक अधिकार है। किसानों का कहना है कि काला बिल वापस करो। ये पूरी तरह असली मामला है और अपने किसानों को मैं सैल्यूट करती हूं।’