बच्चों ने लिया लैंगिक असमानता के खिलाफ अभियान चलाने का निर्णय, ग्राम प्रधान करेंगे समर्थन

धीरेन्द्र मिश्रा/ कैनविज टाइम्स

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की ग्राम पंचायतों में बच्चों द्वारा लैंगिक असमानता के खिलाफ अभियान चलाए जाएंगे एवं ग्राम प्रधान उसका समर्थन करेंगे। यह निर्णय प्रदेश के समस्त जिलों में 29 जनवरी से 31 जनवरी के बीच आयोजित बाल सभा में बच्चों द्वारा लिया गया। बाल सभा, अवसर और संसाधनों में लैंगिक समानता विषय पर आयोजित की गई। बाल सभा में बच्चों ने लैंगिक समानता के विषय पर चर्चा की और अपने जीवन और समुदाय में हो रहे भेदभाव को समझा। बच्चों ने अपने परिवार और गाँव में लंबे समय से चल रही लैंगिक असमानता के विषय में बातचीत की, साथ ही समय के साथ हो रहे परिवर्तन को भी पहचाना। बच्चियों ने ग्राम प्रधान से अपनी समस्याएँ बताईं और कहा की स्ट्रीट लाइट न होने के कारण उन्हें घर से निकलने में असुविधा होती है। स्कूल में लड़कियों के लिए साफ शौचालय न होने की बात भी बच्चियों ने कही जिनके कारण वे स्कूल जाने में झिझक महसूस करती हैं।
24 से 31 जनवरी के बीच आयोजित बाल सभा में बाल सभा सदस्यों के साथ ग्राम प्रधान, पंचायत सदस्यों, शिक्षकों, अभिभावकों, आशा, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं अन्य हितधारकों ने भाग लिया। बाल सभा में ग्राम प्रधानों ने बच्चियों के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने का भरोसा दिलाया। बच्चियों के खेलकूद के लिए मैदान की व्यवस्था, गाँव में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था एवं स्कूल में साफ सफाई और शौचालय की मांग को प्रधानों ने स्वीकार किया एवं जल्द ही सुनिश्चित करने का आश्वासन भी दिया। प्रवीणा चौधरी, संयुक्त निदेशक, पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थान उत्तर प्रदेश ने कहा कि बच्चे हमारा वर्तमान और भविष्य हैं और पंचायती राज संस्थाएं उनके अस्तित्व, विकास और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। विभाग का प्रयास नियमित बाल सभाओं का आयोजन करना है ताकि बच्चों की जरूरतें वार्षिक कार्ययोजना का हिस्सा बन सकें। इस संबंध में प्रमुख सचिव पंचायती राज की ओर से निर्देश भी जारी कर दिये गये हैं। हालाँकि, इस मामले में महिला कल्याण, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग का प्रत्यक्ष योगदान आवश्यक है। सतत विकास लक्ष्यों के स्थनीयकरण की दिशा में प्रदेश की प्रत्येक ग्राम पंचायत को बाल हितैषी बनाने के उद्देश्य से बाल सभा का गठन एवं वर्ष में बाल सभा की चार बैठकों का आयोजन करने का शासनादेश पंचायतीराज विभाग द्वारा नवंबर 2022 में जारी किया गया था।
प्रदेश में ग्राम स्तर पर बाल सभा का गठन किया जाता है जिसमें 11 से 18 वर्ष के सदस्य होते हैं। इनमें एक अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष होता है एवं शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, खेल, सुरक्षा, खाद्य एवं सुरक्षा मंत्री व उपमंत्री होते हैं। 27 नवंबर को बाल अधिकार माह, 24 जनवरी को बालिका दिवस, 7 अप्रैल को स्वास्थ्य दिवस और 29 अगस्त को खेल दिवस के अवसर पर बाल सभा की 4 बैठकें आयोजित की जाती हैं। यूनिसेफ उत्तर प्रदेश के चीफ डॉ ज़कारी ऐडम ने कहा कि सभी ग्राम पंचायतों में बाल सभा मंच बनाने के लिए यूपी सरकार के पंचायती राज विभाग की प्रतिबद्धता वास्तव में सराहनीय है। यह सामुदायिक स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भाग लेने के बच्चों के अधिकार को सुनिश्चित करने की दिशा में एक मजबूत कदम है। बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, सुरक्षा और सशक्तिकरण को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर निर्वाचित प्रतिनिधियों, सरकारी अधिकारियों, हितधारकों, अभिभावकों द्वारा बच्चों को सुना जाना चाहिए। बाल सभा के बच्चों द्वारा अवसरों और संसाधनों में लैंगिक समानता विषय पर जागरूकता पैदा करने के लिए कविता पाठ, नुक्कड़ नाटक और पोस्टर मेकिंग सहित विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। यूनिसेफ की सामाजिक नीति विशेषज्ञ पीयूष एंटनी ने कहा कि बाल सभा एक ऐसा अवसर है जहां बच्चे अपने अधिकारों का उपयोग कर सामाजिक विकास में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करते हैं, साथ ही प्रजातान्त्रिक, नैतिक एवं नागरिक मूल्यों को सीखते हैं। उन्होंने लैंगिक असमानता के अस्तित्व को पहचानने और खुली चर्चा में शामिल होने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, जितना अधिक हम सक्रिय रूप से इस मुद्दे पर संवाद करेंगे और स्वीकार करेंगे, उतनी ही अधिक कुशलता से हम इसे संबोधित करने और सुधारने के लिए प्रभावी रणनीति बना सकते हैं।

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