अयोध्या मामला: सुप्रीम कोर्ट में 24वें दिन की सुनवाई पूरी, मध्यस्था की नई पेशकश

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अयोध्या मामले पर सोमवार को 24वें दिन की सुनवाई पूरी हो गई। मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने अपनी दलीलें पेश कीं। उन्होंने कहा कि पूजा के अधिकार पर जो दलीलें रखी गई हैं, उससे लगता है कि ईसाइयों को बस वेटिकन और मुसलमानों को मक्का पर हक है। पूरे जन्मस्थान को पूजा की जगह बता हमारा दावा कमज़ोर करने की कोशिश की जा रही है।इस बीच रिटायर्ड जस्टिस एफएम कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्हें एक हिन्दू और एक मुस्लिम पक्षकार की तरफ से मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।

सुनवाई की शुरुआत में धवन ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई से कहा कि आपको मुझे कुछ बताना है। फेसबुक पर कोई आदमी है जो कह रहा है कि उसने सौ से ज्यादा पत्र चीफ जस्टिस को लिखे हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे पास इसे देखने के लिए टीम है। धवन ने कहा कि मैं उसकी पोस्ट की प्रति आपको देना चाहता हूं। सोशल मीडिया पर किसी ने ये भी लिखा है कि मैंने सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाया है, जबकि ऐसा नहीं है। मैं केवल कोर्ट की नजर में यह लाना चाह रहा था। चीफ जस्टिस ने कहा कि इन्हें छोड़िए, दलीलें शुरू कीजिए।

धवन ने पूछा कि क्या सुप्रीम कोर्ट को अयोध्या में मध्यस्थता के लिए क़िसी पक्ष से कोई लेटर मिला है? चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें कोई पत्र नहीं मिला है। धवन ने कहा कि मीडिया और सोशल मीडिया में लेटर मिलने की ख़बरें चल रही हैं, जिसमे समझौता प्रक्रिया दोबारा शुरू करने की मांग का जिक्र है। इस पर कोर्ट अवमानना की कार्रवाई करे। चीफ जस्टिस ने कहा कि इसमें हमारी कोई दिलचस्पी नहीं।

राजीव धवन ने कहा कि जब देवता अपने आपको प्रकट करते है तो किसी विशिष्ट रूप में प्रकट होते हैं और उसकी पवित्रता होती है।जस्टिस बोबडे ने पूछा कि क्या आप कह रहे हैं कि एक देवता का एक रूप होना चाहिए? धवन ने कहा, हां। देवता का एक रूप होना चाहिए, जिसको भी देवता माना जाए, भगवान का कोई रूप नहीं है, लेकिन एक देवता का एक रूप होना चाहिए। हिन्दू पक्ष विश्वास के आधार पर दावा कर रहे हैं।

राजीव धवन ने कहा कि विवादित ज़मीन पर मूर्ति की पूजा की हमेशा बाहर चबूतरे पर होती थी, 1949 में मंदिर के अंदर शिफ्ट किया, जिसके बाद वह पूरी ज़मीन पर कब्ज़े की बात करने लगे। धवन ने कहा कि आप मंदिर या मस्जिद की भूमि का अधिग्रहण कर सकते हैं, लेकिन आप एक देवता भूमि नहीं प्राप्त कर सकते हैं। राजीव धवन ने आरोप लगाया कि रामजन्मभूमि न्यास पूरी ज़मीन पर कब्ज़ा करना चाह रहा है और एक नया मन्दिर बनना चाहता है।

सुनवाई के दौरान रिटायर्ड जस्टिस एफएम कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्हें एक हिन्दू और एक मुस्लिम पक्षकार की तरफ से मध्यस्थता प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है। जस्टिस कलीफुल्ला ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच से इस मामले में दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की। मध्यस्थता पैनल ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्वाणी अखाड़ा ने उनसे लिखित में यह मांग की है कि मध्यस्थता फिर से शुरू की जाए।

उल्लेखनीय है कि मध्यस्थ्ता पैनल पिछले 2 अगस्त को इस मामले पर मध्यस्थता प्रक्रिया असफल होने पर सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त से इस मामले पर रोजाना सुनवाई करने का आदेश दिया था।  मध्यस्थता कमेटी ने पिछले 1 अगस्त को अपनी फाइनल रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी थी, जिसमें मध्यस्थता असफल रहने का जिक्र किया गया था।

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