नई दिल्ली – दिल्ली की जहरीली हो रही हवा सिर्फ फेफड़े पर ही असर नहीं डालती, बल्कि दिल और दिमाग के लिए भी ठीक नहीं है। प्रदूषण हार्ट अटैक के साथ ही लकवा का भी बड़ा कारण बन रहा है। हाल ही में हुए अध्ययन में यह कहा गया है कि पिछले 25 सालों में देश में लकवा के मामले ढाई गुना बढ़ गए हैं और इसका एक बड़ा कारण प्रदूषण है। प्रदूषण लकवा के लिए तीसरा जोखिम भरा कारण माना जा रहा है।
अध्ययन के अनुसार, करीब 33.5 फीसद लोगों में लकवा का बड़ा कारण प्रदूषण होता है। वैसे गलत खानपान और हाई ब्लड प्रेशर भी इस बीमारी का प्रमुख कारण है। आंकड़ों के अनुसार, 1990 में देश में करीब 28 लाख लोग लकवा से पीड़ित हुए, 2016 में यह संख्या बढ़कर 65 लाख तक पहुंच गई। इस तरह लकवा मौत का बड़ा कारण बन रहा है। लकवा से पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक पीड़ित होती हैं।
एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विजय गोयल ने बताया कि दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण लकवा के लिए बड़ा कारण है। वातावरण में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम)- 2.5 बढ़ने से लकवा का खतरा भी बढ़ जाता है। विदेशों में हुए अध्ययन में प्रदूषण व लकवा के बीच संबंध साबित हो चुके हैं। भारत में स्थिति ज्यादा खराब है।
हेल्थकेयर एट होम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. गौरव ठुकराल का कहना है कि प्रदूषण के दुष्प्रभाव के प्रति लोगों में जागरूकता का अभाव है। लकवा होने पर लाखों लोग विकलांगता के शिकार हो जाते हैं। शालीमार बाग स्थित फोर्टिस अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश गर्ग ने कहा कि मतिष्क में रक्त की आपूर्ति प्रभावित होने पर यह बीमारी होती है और शरीर का कोई हिस्सा प्रभावित हो जाता है, आवाज लड़खड़ाने लगती है। धूमपान, मधुमेह व उच्च कोलेस्ट्रॉल के कारण भी यह बीमारी हो सकती है।