लखनऊ। (वहाब उद्दीन सिद्दीक़ी) अज़ादारी का मरकज़ कहे जाने वाले अदब के शहर लखनऊ में रसूलअल्लहा के नवासे इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों का चेहल्लुम मंगलवार को पूरी अक़ीदत और ग़मगीन माहौल में मनाया गया इस मौके पर मजलिस मातम का सिलसिला जारी रहा।
लखनऊ में हर साल की तरह इस बार भी इमाम बाड़ा नाज़िम साहब से कर्बला तालकटोरा तक चेहलुम का जुलूस निकाला गया जो देर रात कर्बला पहुँच कर समाप्त हुआ।जिसमें लखनऊ समेत आस पास के ज़िलों की अंजुमनों ने शामिल हो कर नोहा ख्वानी और सीना जनि कर इमाम हुसैन और उनके साथियों को खिराजे अक़ीदत पेश की। आज ही के दिन कर्बला में इमाम हुसैन और उनके साथियो को तीन दिन भूखा प्यासा क़ैद रखा गया था और बाद में यज़ीद की फौज ने उन्हें शहीद कर दिया था यहाँ तक उनके छः महीने के बच्चे अली असग़र तक को नही बक़्शा था और उन्हें भी शहीद कर दिया गया था।
और उनके घरवालो को क़ैदी बनाकर बहुत ज़ुल्म ढाया गया उनकी चार साल की बच्ची सकीना क़ैद ख़ाने में ही मर गयी थी। इमाम हुसैन ने इंसानियत और हक़ के लिए अपनी और अपने साथियों की क़ुरबानी पेश कर दी लेकिन ज़ुल्म के आगे अपना सिर नही झुकाया और पूरी इंसानियत को बचा लिया। इस मौके पर मौजूद मौलाना कल्बे जवाद ने बताया की इमाम हुसैन की शहादत हुए आज साढ़े तेरह सौ साल हो चुके हैं लेकिन आज भी लाखों की तादाद में लोग इकट्ठा होकर यहां पर उनकी शहादत को याद कर रहे हैं और पूरी दुनिया मे खास कर इराक़ में करोड़ो की संख्या में जमा हो कर लोग चेहल्लुम मानते हैं यह इमाम हुसैन की शहादत का असर है और दुनिया से अगर दहशत गर्दी को खत्म करना है पूरी दुनिया में इमाम हुसैन के पैगाम को पहुंचाना होगा ताकि दुनिया से दहशत गर्दी खत्म हो सके। इस मौके पर पुलिस और प्रशासन ने कड़े बंदोबस्त कर रखे थे, जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा समेत कई आलाधिकारियों ने जुलूस के साथ चल कर इलाकों का मुआयना किया वही सीसीटीवी और ड्रोन कैमरे से जुलूस और आसपास के इलाकों पर नज़र बनी रही जिसके बाद शाम 5 बजे जुलूस तालकटोरा स्तिथ कर्बला पर सकुशल सम्पन्न हो गया।