ग़रीब परिवार के लिए डॉक्टरों ने पैसा जुटा कर किया लीवर ट्रांसप्लांट:- कैनविज टाइम्स

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ग़रीब परिवार के लिए डॉक्टरों ने पैसा जुटा कर किया लीवर ट्रांसप्लांट:- कैनविज टाइम्स

लखनऊ। ( वहाब उद्दीन सिद्दीकी ) कहते हैं जिसका कोई नही होता उसका ऊपर वाला सहारा होता है ऐसा ही एक मामले में एक गरीब परिवार की मैक्स हॉस्पिटल के डॉक्टरों काफ़ी मदद की ग़रीब माँ बाप के पास पैसा न होने की दशा में अपने बच्चे की ज़िंदगी को लेकर मायूसी आ गयी थी क्यो की इलाज के लिए भारी भरकम रक़म जुटा पाना उनके लिए नामुमकिन था ऐसे में मैक्स हॉस्पिटल के डॉक्टर उस परिवार के लिए भगवान बन कर सामने आए और उन्होंने ने 7 साल के बच्चे का लीवर ट्रांसप्लांट किया तत्काल ट्रांसप्लांट के लिए पैसों का इंतजाम भी डॉक्टरों की टीम ने किया। आम तौर पर माना जाता है कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत केवल बड़ों को ही पड़ती है लेकिन ऐसी कुछ बीमारियां बच्चों में भी हो जाती हैं जिनके कारण होने अंग प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ सकती है। लखनऊ के 7 साल के अली हमजा का भी कुछ ऐसा ही मामला है जिसका हाल ही में दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स हॉस्पिटल में लिवर ट्रांसप्लांट किया गया। अली को बीमारी की एडवांस स्टेज में गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया था। जब उसे लाया गया तो वह आधे होश में था और उसके पेट के निचले हिस्से में सूजन थी तथा वह गंभीर पीलिया से भी पीड़ित था। ऐसे में उसे तुरंत भर्ती किया गया और जांच करने पर पता चला कि उसे आखिरी चरण की लीवर की बीमारी है जिसके कारण उसे लीवर ट्रांसप्लांट की तत्काल जरूरत थी। पीड़ित बच्चे के परिवार को उसकी नाजुक हालत, इलाज से संबंधित परिणाम और खर्चे के बारे में जानकारी दी गई। उसके माता-पिता किसी भी हाल में अपने बच्चों को बचाना चाहते थे जिसके बाद उसके पिता ने अपना लीवर दान करने का फैसला किया लेकिन इलाज और सर्जरी का खर्चा भर पाना परिवार के लिए संभव नहीं था। उसके कारण सर्जरी में देरी हुई एक तरफ माता-पिता आर्थिक संकट से जूझ रहे थे और दूसरी तरफ बच्ची की हालत लगातार नाजुक होती जा रही थी। जब परिवार ने अपनी चिंता के बारे में बताया तो मैक्स हेल्थकेयर के डॉक्टरों ने उसकी मदद करने का फैसला लिया। डॉक्टरों ने डोनेशन के लिए विभिन्न दान संगठनों और अपने कई जानने वालों से संपर्क किया। कुछ ही दिनों में आवश्यक पैसा जमा हो गया जिसके बाद लड़के का लीवर ट्रांसप्लांट किया गया। इस पूरी प्रक्रिया में 7 घंटे का समय लगा पोस्ट ऑपरेटिव प्रक्रिया सामान्य रूप चल रही थी लेकिन ऑपरेशन के एक हफ्ते बाद ही अली की आंख में ब्लडिंग शुरू हो गई। कारण की पहचान आँत में मौजूद एक आसमान रक्त वाहिका के रूप में की गई। डॉक्टरों की टीम ने एक दुर्लभ प्रक्रिया शुरू की जिसमें रक्त वाहिका को मिनिमालि इनवेसिव नॉन सर्जिकल प्रक्रिया के जरिए ब्लॉक किया गया। लड़के की बिलिडिंग पूरी तरह से बंद हो गई और उसे तुरंत डिस्चार्ज किया गया। इस नन्हे से लड़के के साहस भरे सफर का जश्न मनाने के लिए मैक्स हॉस्पिटल साकेत ने लखनऊ में शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया। इस कांफ्रेंस में डॉक्टर शरत वर्मा ने इस केस, फंडिंग की प्रक्रिया और ऑपरेशन के दौरान और बाद की चुनौतियां पर लम्बी चर्चा की। साकेत स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में बाल चिकित्सा और गैस्ट्रोलॉजी गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार डॉक्टर शरत वर्मा ने इस मामले पर बात करते हुए बताया कि अली को जब अस्पताल लाया गया था तो उसकी हालत बेहद नाजुक थी। वह एडवांस चरण की बीमारी से पीड़ित था, इसलिए उसे लीवर ट्रांसप्लांट की तत्काल जरूरत थी। सौभाग्य से हम लोगों से प्रत्यारोपण के लिए आवश्यक खर्च जुटाने में कामयाब हो गए जो लीवर की बीमारी से ग्रस्त मरीजों की मदद करने में हमारा साथ देते हैं। उनका ट्रांसप्लांट जितना चुनौतीपूर्ण था उतना ही सफल भी रहा। अली अब लखनऊ में स्थित मैक्स के लिवर क्लिनिक पर नियमित फॉलोअप के लिए आता है और अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है। यह मामला ऐसे बच्चों में लिवर ट्रांसप्लांट के लिए मदद पर ज़ोर देता है जिसके पास इलाज के लिए पर्याप्त पैसा नहीं है। परिवार के पक्के विश्वास और चाह ने डॉक्टरों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि आर्थिक स्थिति किसी के भी इलाज में बाधा नहीं होनी चाहिए जिसके बाद के परिणामों में हर तरफ खुशी का माहौल हो गया

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