29 सितंबर को है जितिया व्रत, जानिए महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि

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हिंदू धर्म में जितिया व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। यह व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इस व्रत को जिउतिया, जितिया, जीवित्पुत्रिका, जीमूतवाहन व्रत नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष से इस व्रत की शुरुआत हो जाती है और व्रत का समापन आश्निन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी पर होता है। जीवित्पुत्रिका व्रत संतान प्राप्ति और उसकी लंबी आयु की कामना के साथ किया जाता है।

जितिया व्रत का महत्व
जितिया व्रत संतान की लंबी आयु, निरोगी जीवन और खुशहाली के लिए रखा जाता है। तीन दिनों तक चलने वाला यह व्रत नहाए खाए के साथ शुरू होता है। दूसरे दिन निर्जला व्रत और तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस साल 28 सितंबर को नहाए खाए, 29 सितंबर को निर्जला व्रत और 30 सितंबर को व्रत का पारण किया जाएगा।

जितिया व्रत शुभ मुहूर्त
28 सितंबर की शाम 06 बजकर 16 मिनट से आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू होगी। यह 29 सितंबर की रात 8 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। अष्टमी तिथि के साथ व्रत समाप्त नहीं होगा। व्रत का पारण 30 सितंबर को किया जाएगा।

जीवित्पुत्रिका व्रत की पूजा विधि

  • सुबह स्नान करने के बाद व्रती प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीपकर साफ कर लें।
  • इसके बाद वहां एक छोटा सा तालाब बना लें।
  • तालाब के पास एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ाकर कर दें।
  • अब शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति जल के पात्र में स्थापित करें।
  • अब उन्हें दीप, धूप, अक्षत, रोली और लाल और पीली रूई से सजाएं, अब उन्हें भोग लगाएं।
  • अब मिट्टी या गोबर से मादा चील और मादा सियार की प्रतिमा बनाएं।
  • दोनों को लाल सिंदूर अर्पित करें।
  • अब पुत्र की प्रगति और कुशलता की कामना करें।
  • इसके बाद व्रत कथा सुनें या पढ़ें।

व्रत पारण का समय
जीवित्पुत्रिका व्रत रखने वाली महिलाएं 30 सितंबर को सूर्योदय के बाद दोपहर 12 बजे तक पारण करेंगी। मान्यता है कि जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण दोपहर 12 बजे तक कर लेना चाहिए।

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