केजीएमयू के इतिहास में हुआ पहला लिवर प्रत्यारोपण रहा सफ़ल। पति पत्नी दोनों सकुशल- कैनविज टाइम्स

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केजीएमयू के इतिहास में हुआ पहला लिवर प्रत्यारोपण रहा सफ़ल।

लखनऊ। ( वहाब उद्दीन सिद्दीकी ) राजधानी के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में इतिहास का पहला लिवर प्रत्यारोपण हुआ। लिवर प्रत्यारोपण के उपरांत रोगी एवं अंगदाता सकुशल हुए जिसके बाद पेशेंट को सोमवार के दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अपने 50 वर्षिय पति की जान बचाने के लिए 48 वर्षीय पत्नी ने दान किया था अपना लीवर। केजीएमयू के इतिहास में हुए इस पहले लीवर प्रत्यारोपण के सफल ऑपरेशन से डॉक्टर्स काफ़ी उत्साहित नज़र आये।

बता दें की केजीएमयू में दिनांक 14 मार्च 2019 को सर्जिकल गेस्ट्रोलॉजी विभाग द्वारा रायबरेली निवासी का लिवर प्रत्यारोपण किया गया था जिनको उनकी 48 वर्षीय पत्नी ने लीवर दान किया था। लीवर प्रत्यारोपण का ऑपरेशन पूर्णता सफ़ल रहा तथा सोमवार को पति पत्नी दोनों को ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। यह जानकारी केजीएमयू के प्रशासनिक भवन के बोर्ड रूम में आयोजित प्रेस वार्ता में देते हुए किंग जॉर्ज चिकित्सा संस्थान के कुलपति प्रो. एमएलबी भटट् ने बताया कि मैक्स अस्पताल एवं केजीएमयू के विभिन्न विभागों के सामूहिक प्रयास से यह लिवर प्रत्यारोपण पूर्णता सफल हुआ है।

इस अवसर पर कुलपति प्रो. एमएलबी भटट् ने सर्जिकल गैस्ट्रोइंट्रोलाॅजी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅक्टर अभिजीत चन्द्रा की सराहना करते हुए कहा कि यह सफल आॅपरेशन के बाद चिकित्सा संस्थान में अप्रैल माह के अंत में एक और लिवर प्रत्यारोपण किये जाने की संभावना है।

जिसके बाद लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ने वाले मरीजों को लाभ होगा। सर्जिकल गैस्ट्रोइंट्रोलाॅजी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅक्टर अभिजीत चन्द्रा ने बताया कि रायबरेली निवासी 50 वर्षीय व्यक्ति क्राॅनिक लिवर डिजीज से पीड़ित थे। पीड़ित मरीज ने फरवरी 2019 में केजीएमयू के सर्जिकल गैस्ट्रोइंट्रोलाॅजी विभाग की ओपीडी में दिखाया जहां चिकित्सकों ने लिवर खराब होने पर उसे ट्रांसप्लांट की सलाह दी। ऐसे में पीड़ित की पत्नी ने अपना लिवर देने के लिए अपनी हामी भरी जिसके बाद मरीज की क्लीनिकल पैथोलाॅजिकल जांच की प्रक्रिया शुरू हुई। जिसकी रिपोर्ट आने के बाद उन्होंने प्रत्यारोपण की प्लानिंग की। इसके लिए डाॅक्टर अभिजीत चन्द्रा ने आॅपरेशन से 10 दिन पहले मरीज को वार्ड में भर्ती किया और पांच दिन मरीज को विशेष प्रोटोकाॅल में रखा और मरीज के प्रत्येक पल की हिस्ट्री बनाइ। इसके बाद मैक्स हाॅस्पिटल के वरिष्ट चिकित्सकों के सहयोग से 14 घंटे में संस्थान में पहला सफल लिवर प्रत्यारोपण किया गया।

डिस्चार्ज से पूर्व मरीज और उनकी पत्नी ने पत्रकारों से बातचीत में इस आॅपरेशन के सफल होने पर इसे अपना दूसरा जीवन बताते हुए आॅपरेशन करने वाली चिकित्सकों की टीम को धन्यवाद दिया और केजीएमयू के चिकित्सकों एवं कर्मचारियों की सराहना करते हुए बताया कि किसी अन्य अस्पताल में इस आॅपरेशन का खर्च 40 से 50 लाख बताया जा रहा था लेकिन केजीएमयू में मात्र कुछ लाख रूपए में ही इतनी उच्च गुणवत्ता वाले संसाधनों एवं चिकित्सकों की मदद से यह आॅपरेशन सफल हुआ है। सर्जिकल गैस्ट्रोइंट्रोलाॅजी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅक्टर अभिजीत चन्द्रा ने बताया कि इस लिवर ट्रांसप्लांट में मैक्स अस्पताल एवं केजीएमयू के चिकित्सकों समेत 50 लोगों के स्टाफ ने सहयोग किया है। इसमें मैक्स दिल्ली के लिवर ट्रांसप्लांट के विशेषज्ञ डाॅक्टर सुभाष गुप्ता, डाॅक्टर शालीन अग्रवाल, डाॅक्टर राजेश दुबे तथा केजीएमयू के सर्जिकल गैस्ट्रोइंट्रोलाॅजी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅक्टर अभिजीत चन्द्रा, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. एसएन शंखवार, डिप्टी रजिस्ट्रार डाॅक्टर अनित परिहार, डाॅक्टर तूलिका चन्द्रा, डाॅक्टर रोहित, डाॅक्टर नीरा कोहली, डाॅक्टर विवेक गुप्ता, डाॅक्टर प्रदीप जोशी, व डॉक्टर विशाल गुप्ता, डाॅक्टर मोहम्मद परवेज, डाॅक्टर अनीता मलिक, डाॅक्टर तन्मय समेत 50 कर्मियों के स्टाफ ने मरीज की प्रत्यारोपण प्रक्रिया में अपनी अह्म जिम्मेदारी निभाई है।

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