पति-पत्नी के प्रेम का पर्व करवा चौथ आज

0
693

छाया चित्र पूर्णिमा दीक्षित

सोलह श्रंगार कर सुहागिन आज करेंगी चांद का दीदार

करवा चौथ को भारतीय परम्परा में पति और पत्नी के प्रेम के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।इस दिन महिलाएं उपवास रखकर अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करती हैं।इस बार ये सुहाग का पर्व करवा चौथ कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को यानि आज 4 नवम्बर को मनाया जा रहा है।अखंड सौभाग्य के इस पर्व करवा चौथ को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है।खासकर नवविवाहित महिलाएं अपने पहले करवा चौथ को यादगार बनाना चाहती हैं।इस खास पर्व का महिलाएं पूरा साल इंतजार करती हैं, क्योंकि उन्हें सजने संवरने और सोलह श्रृंगार करने का मौका मिलता है।

दिनभर उपवास करेंगी महिलाएं

करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं।ये व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब 4 बजे शुरू हो कर शाम में चंद्रमा दर्शन के बाद पूरा होता है।शाम होते ही महिलाएं करवा माता की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ करती हैं।चीनी मिट्टी के करवे की अदला-बदली करने के बाद बयाना दिया जाता है, जिसमें सात पूड़ियां, गुलगुले, मिठाइयां आदि का चांद को अर्घ्य दिया जाता है। सुहाग के करवा चौथ के दिन विवाहित महिलाएं सुबह से ही तैयारी में लग जाती हैं।

सोलह श्रृंगार कर नई दुल्हन की तरह सजती है महिलाएं

महिलाएं इस दिन सजती हैं, मेंहदी लगवाती हैं और अपने पति की लम्बी आयु की प्रार्थना करते हुए पूरे दिन उपवास करती हैं।इस दिन ये महिलाएं सास के हाथ की सरगी खाकर और चौथ माता की कहानी सुनकर अपने व्रत की शुरुआत करती हैं।करवा चौथ के दिन सुबह से उपवास कर रही महिलाएं सोलह-श्रृंगार कर नई दुल्हन की तरह सजती हैं और बस इंतजार होता है सिर्फ चांद का महिलाएं पति के घर पहुंचने के बाद ही व्रत खोलती हैं।सारा परिवार उत्सव में शामिल होता है।

चांद और पति का दर्शन कर व्रत खोलेंगी महिलाएं

शास्त्रों के मुताबिक इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत कोई दूसरा नहीं है।व्रत का ये विधान बेहद प्राचीन है पहले महिलाएं अपने घर में ही करवा चौथ का व्रत रखा करती थीं, लेकिन बदलते दौर के साथ ही महिलाएं समूह में करवा चौथ का व्रत रखने लगी हैं।करवा चौथ पर दिन भर उपवास के बाद शाम को महिलाएं नई दुल्हन की तरह सजती-संवरती हैं।फिर पूजा करने के बाद बारी आती है चांद के दीदार की, जिसमें पत्नियां चांद और पति का दर्शन करके व्रत खोलती हैं।

इस बार बन रहा है ये शुभ संयोग

करवा चौथ पर बुध के साथ सूर्य ग्रह भी विद्यमान होंगे, दोनों की युति बुधादित्य योग बनाएगी। इसके अलावा इस दिन शिवयोग के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि, सप्त कीर्ति, महादीर्घायु और सौख्य योग बन रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि में चतुर्थी तिथि प्रारंभ हो रही है, जबकि इस तिथि का अंत मृगशिरा नक्षत्र में होगा।

करवा चौथ का शुभ मुहूर्त

चतुर्थी तिथि प्रारंभ – सुबह 4 बजकर 24 मिनट पर (4 नवंबर 2020)
चतुर्थी तिथि समाप्त – सुबह 6 बजकर 14 मिनट पर (5 नवंबर 2020)
चंद्रोदय का समय – रात 8 बजकर 16 मिनट पर
करवा चौथ पूजा मुहूर्त – शाम 5 बजकर 29 मिनट से शाम 6 बजकर 48 मिनट तक

करवाचौथ व्रत पूर्ण करने के नियम

– इस व्रत में कहीं सरगी खाने का रिवाज है, तो कहीं नहीं है। इसलिए अपने परंपरा के अनुसार ही व्रत रखना चाहिए। सरगी व्रत के शुरू में सुबह दी जाती है। एक तरह से यह आपको व्रत के लिए दिनभर ऊर्जा देती है।

– इस व्रत में महिलाओं को पूरा श्रृंगार करना चाहिए। इस व्रत में महिलाएं मेहंदी से लेकर सोलह श्रृंगार करने चाहिए।

– चंद्रमा के आने तक रखा जाता है व्रत: इस व्रत को चंद्रमा के आने तक रखते हैं। उसके बाद व्रत को पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोला जाता है। लेकिन इसके पहले निर्जला व्रत रखा जाता है। हर जगह अपने-अपने रिवाजों के अनुसार व्रत रखा जाता है।

– करवों से पूजा : इस व्रत में मिट्टी के करवे लिए जाते हैं और उनसे पूजा की जाती है। इसके अलावा करवा चौथ माता की कथा सुनना भी बहुत जरूरी है।

– करवा चौथ की पूजा में भगवान शिव, गणेश, माता पार्वती और कार्तिकेय सहित नंदी जी की भी पूजा की जाती है।

– पूजा के बाद चंद्रमा को छलनी से ही देखा जाता है और उसके बाद पति को भी उसी छलनी से देखते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here