स्पाईनल कॉर्ड इंजरी की जागरूकता को लेकर हुआ कार्यक्रम:- कैनविज टाइम्स

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स्पाईनल कॉर्ड इंजरी की जागरूकता को लेकर हुआ कार्यक्रम:- कैनविज टाइम्स

लखनऊ। (वहाब उद्दीन सिद्दीक़ी) राजधानी के केजीएमयू में शुक्रवार को वर्ड स्पाईनल कॉर्ड इंजरीस अवेर्नेस सप्ताह बनाया गया।
केजीएमयू के न्यूरोसर्जरी विभाग द्वारा किये गए इस कार्यक्रम का मक़सद लोगो मे जागरूकता लाना था जिसके तहत कार्यक्रम में स्कूली छात्र छात्राओं को भी बुलाया गया था जिनको स्पाईनल कार्ड की चोट, परिवारों व समाज पर उनके प्रभाव और उसे रोकने के तरीक़ो के बारे में शिक्षित किया गया।

वहीं इस कार्यक्रम में स्टेज प्ले प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया था। प्रतियोगिता का विषय था “स्पाईनल कॉर्ड इंजरी- प्रगतिशीलता से गतिहीनता की गाथा” इस प्रतियोगिता में तमाम स्कूलों के बच्चों ने भाग लिया। कार्यक्रम में स्कूली बच्चों ने नाटक के माध्यम से स्पाईनल कार्ड की चोट से बचाओ के तऱीके बताए।

वहीं इस मौके पर न्यूरोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.बी.के.ओझा ने बताया कि पूरी दुनिया में सितंबर के महीने का प्रथम सप्ताह स्पाइनल कॉर्ड इंजरी जागरूकता सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। इसी श्रंखला में हमारा विभाग 6 सितंबर 2019 को जागरूकता सप्ताह का आयोजन कर रहा है इस कार्यक्रम के तहत 50 स्कूलों के बच्चों को इंटर स्कूल प्ले प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है स्कूली छात्रों को स्पाइनल कार्ड की चोट परिवारों और समाज पर उनके प्रभाव और इसे रोकने के तरीके में के बारे में भी शिक्षित किया जाएगा।

बच्चों को इस प्रोग्राम में इसलिए केंद्रित किया गया है कि यदि बच्चे इस उम्र में यह सब चीजें सीख जाएंगे तो पूरी उम्र तमाम दोस्तों को तमाम रिश्तेदारों को सिखाते रहेंगे बताते रहेंगे जिससे कि समाज में जागरूकता फैलेगी। इस कार्यक्रम में इन बच्चों को मुख्य तौर पर यह चीज बताई जाएगी के स्पाइनल इंजरी ( रीड की हड्डी की चोट) से बचाव कैसे करें क्योंकि यह बीमारी ऐसी है की यदि इसमें बचाव कर लिया जाए तो बहुत अच्छा है। ऐसा भी नहीं है कि हम सिर्फ उनको रीड की हड्डी में चोट लगने के बाद होने वाले नुकसान के बारे में ही बता रहे हैं जिससे कि उनके अंदर हीन भावना पैदा हो बल्कि उनको ऐसे वीडियो भी दिखाएंगे जिसमें यह दिखाया गया है कि रीड की हड्डी में चोट लगने के बाद भी इंसानों ने कैसे अपने जीवन में संघर्ष किया और कई क्षेत्रों में महारत हासिल की और नाम रोशन किया है। आगे प्रो.बी.के.ओझा ने बताया की किसी भी तरह का एक्सीडेंट होने की दशा में आम नागरिक को मरीज को हॉस्पिटल तक पहुंचाने के लिए क्या-क्या इश्तियाक बरतनी चाहिए जैसे कि मरीज को हॉस्पिटल ले जाने के दौरान उसकी रीढ़ की हड्डी मुड़ना नहीं चाहिए खास कर गर्दन का हिस्सा तो बिल्कुल नही मुड़ना चाहिए उसके लिए चाहिए है की गर्दन की साइडों में सेंड बैग लगा दे या कपड़ा आदि ठूस दें जिससे कि गर्दन में मूमेंट ना हो। मरीज हॉस्पिटल पहुंच जाए तमाम तरह की जांचे होकर जब यह तय हो जाए कि रीड की हड्डी में किसी प्रकार की चोट नहीं है तब वह सब हटा लेना चाहिए। और रोड एक्सीडेंट में भी इस तरह के हादसे अक्सर सामने आते रहते हैं इसलिए लोगों को चाहिए की ट्रैफिक के नियम ड्राइविंग के समय फॉलो करें नशा कर के ड्राइविंग बिल्कुल नहीं करनी चाहिए। ड्राइविंग में सिर्फ अपने आप को ही नहीं बचाना है बल्कि अपने आसपास चल रहे लोगों का भी और उनकी गाड़ियों का ध्यान रखना है। यदि रोड ख़राब है उसमें गढ्ढे है तो अपनी स्पीड और धीरे कर लेनी चाहिए जिससे की रीड की हड्डी को नुकसान ना पहुंचे।

कार्यक्रम में स्पाईनल कॉर्ड इंजरी व स्पाईनल कॉर्ड इंजरी प्रिवेंशन की बुनियादी चीज़ों पर भी बात की गई। जागरूकता कार्यक्रम का उद्घाटन उप कुलपति प्रो.एम.गोयल, अधिष्ठाता प्रो.विनीत दास, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. एस.एन.शंखवार, विभागाध्यक्ष प्रो.बी.के.ओझा, प्रो.अनिल चन्द्रा ने किया।

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