स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान का हुआ शुभारम्भ, निकाली जागरूकता रैली

धीरेन्द्र मिश्रा/ कैनविज टाइम्स

लखनऊ। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि सोमवार को कुष्ठ निवारण दिवस के रूप में मनाई गई। इस मौके पर स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सहयोग से आईएमए मुख्यालय से प्रमुख सचिव-चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा ने स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान का शुभारंभ किया। इस मौके पर जागरूकता रैली भी निकाली गई। जागरूकता रैली को प्रमुख सचिव ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस मौके पर उपस्थित सभी लोगों ने कुष्ठ रोग को जड़ से समाप्त करने और कुष्ठ रोगियों के साथ भेदभाव न करने की शपथ भी ली। प्रमुख सचिव लोगों का उत्साह बढ़ाने के लिए खुद रैली का हिस्सा बने। इस मौके पर प्रमुख सचिव ने कहा कि कुष्ठ रोग के बारे में लोगों में जो भ्रांतियां हैं, उनको ख़त्म करने को लेकर अभियान चलाया जाता है इसके साथ ही अभियान के दौरान अधिक से अधिक कुष्ठ रोगियों की पहचान भी की जाती है। कुष्ठ रोगियों के साथ किसी तरह का भेदभाव न होने पाए, क्योंकि भेदभाव के चलते कुष्ठ रोगियों को मुश्किल दौर से गुजरना पड़ता है। इसके चलते बहुत से कुष्ठ रोगी बीमारी और बीमारी के लक्षणों को समय से नहीं बताते हैं। उन्होंने कहा कि कुष्ठ रोग से जुड़े भेदभाव को समाप्त करने तथा इस रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से वर्ष 2017 से स्पर्श कुष्ठ रोग जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। कुष्ठ रोग को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं, इसलिए लोग इस रोग को छिपाते हैं। रोग की अवस्था गंभीर होने पर वह इसकी जानकारी देते हैं। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत ट्रेस, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट की प्रक्रिया अपनाते हुए रोगी की शीघ्र पहचान, जांच और इलाज किया जाता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की करेक्टिव सर्जरी निशुल्क की जाती है और मरीज को श्रम ह्रास के बदले में 12,000 रुपए दिए जाते हैं जो पहले 8000 रुपए था। आशा कार्यकर्ता को कुष्ठ रोगी खोजने के लिए प्रति रोगी 250 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाती है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ मनोज अग्रवाल ने कहा कि कुष्ठ एक संक्रमण रोग है। यह ‘माइकोबैक्टीरियम लेप्रे’ नामक जीवाणु के कारण होता है, जो एक एसिड-फास्ट रॉड के आकार का बेसिलस है। यह त्वचा के अल्सर, तंत्रिका क्षति और मांसपेशियों को कमजोर करता है। यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया जाए तो यह गंभीर विकृति और दिव्यांगता का कारण बन सकता है। कुष्ठ रोगियों के पैरों के तलवों में छाले, मांसपेशियों की कमजोरी और वजन में कमी सामान्य सी बात है। आईएमए प्रमुख डा जेडी रावत ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को कुष्ठ निवारण दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि महात्मा गांधी कुष्ठ रोगियों के प्रति पूरी तरह से स्नेह एवं सेवा की भावना रखते थे। बापू ने कुष्ठ रोगियों की सेवा कर यह साबित किया कि कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की सेवा करने व उनकी देखरेख करने से कुष्ठ रोग नहीं फैलता है।

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