किशनगंज के सरकारी स्कूलों में रविवार की जगह ‘जुमे’ को दी जा रही साप्ताहिक छुट्टी, शिक्षा मंत्री ने दिया जांच का आश्वासन

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बिहार शिक्षा मंत्री ने कहा, “जांच होगी और जो सही है वह वह किया जाएगा। हम आपको आश्वासन दे रहे हैं कि जो सही है वह नियमों के अनुसार किया जाएगा। स्कूल सरकार के नियमों से चलते हैं, किसी समिति द्वारा नहीं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई समिति क्या है कह रहा है, सरकारी नियम महत्वपूर्ण हैं। हम इसकी जांच करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि स्कूल के कार्य नियमों पर आधारित हों।”

झारखंड के बाद बिहार के किशनगंज जिले के भी 19 स्कूलों में बिना किसी आदेश के रविवार के बदले शुक्रवार को अवकाश मिल रहा है। यहां रविवार को बच्चों की पढ़ाई होती है। शिक्षा विभाग का मानना है कि मुस्लिम बहुल इलाका होने और स्कूलों में अल्पसंख्यक छात्रों की संख्या की अधिकता के कारण ऐसी परंपरा शुरू से चली आ रही है। इस संबंध में कहीं से कोई आदेश नहीं मिला है।

अल्पसंख्यक छात्रों की संख्या अधिक होने के कारण इन स्कूलों में शुक्रवार को नमाज पढ़ने की छुट्टी दी जाती है। इसके बदले रविवार को छात्र और शिक्षक स्कूल पहुंचते हैं। शहर के लाइन उर्दू स्कूल, उत्क्रमित मध्य विद्यालय लाइन कर्बला, उत्क्रमित मध्य विद्यालय महेशबथना, उत्क्रमित मध्य विद्यालय हालामाला, प्राथमिक स्कूल मोतिहारा वेस्ट सहित अन्य कई स्कूल इनमें शामिल हैं।

 

किशनगंज के जिला शिक्षा पदाधिकारी सुभाष कुमार गुप्ता ने कहा कि जिले के अल्पसंख्यक क्षेत्र के स्कूलों में पुरानी परंपरा के अनुसार शुक्रवार को अवकाश और रविवार को पढ़ाई हो रही है। ऐसे स्कूल स्थापना काल से ही इसी तरह से संचालित होते आए हैं। इस संबंध में कोई आदेश नहीं है। अन्य स्कूलों की तरह इन्‍हें भी शुक्रवार को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए वरीय अधिकारियों से बात की जाएगी।  शिक्षा विभाग के डीपीओ शौकत अली ने कहा कि जिले में कोई अल्पसंख्यक स्कूल नहीं है। जिन स्कूलों में शुक्रवार को अवकाश और रविवार पढ़ाई होती है, वे सभी सामान्य स्कूल हैं।

 

विजय कुमार चौधरी ने कहा कि स्कूल सरकार के नियमों का पालन करने के लिए बाध्य हैं, और मामले की जांच की जाएगी।

बिहार शिक्षा मंत्री ने कहा, “किशनगंज जिले के उन्नीस स्कूलों में शुक्रवार को छुट्टी मिल रही है, हमें इस बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है लेकिन अब हमें पता चला है, हम इसकी जांच करवाएंगे। कुछ कहकर या कुछ लिखकर, उर्दू स्कूल/संस्थान नहीं बन सकते हैं  स्कूल उसी श्रेणी में रहेगा, जिस श्रेणी में यह सरकार के रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है।”

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