काठमांडू: नेपाल सरकार ने देश के उत्तरी हिमालयी क्षेत्र में चीन के साथ सीमा संबंधी मुद्दों को लेकर एक समिति गठित करने का एहम फैसला किया है। दरअसल, प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की बैठक में इस समिति को बनाने का फैसला लिया गया है। ये बैठक बालूवतार स्थित सरकारी आवास पर हुआ था।
बता दें, सरकार के प्रवक्ता ज्ञानेंद्र बहादुर कार्की ने इस बारे में बताते हुए कहा, “समिति नेपाल-चीन सीमा से संबंधित लिमी लपचा से हुमला जिले के नमखा ग्रामीण नगरपालिका के हिल्सा तक की समस्याओं का अध्ययन करेगी। चीन ने कथित तौर पर नेपाली भूमि पर अतिक्रमण किया था और पिछले साल हुमला में नौ इमारतें बनाई थीं।”
वैसे ये रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं है, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने नेपाल के क्षेत्र में चीन के अतिक्रमण की खबरों को पुरी तरह से खारिज कर दिया था। नई समिति में सर्वेक्षण विभाग, नेपाल पुलिस, सशस्त्र पुलिस और सीमा विशेषज्ञों के अधिकारी शामिल होंगे। इसका गठन गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव के समन्वय के तहत किया जाएगा। कार्की ने बताया कि समिति गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपेगी। लेकिन समिति को रिपोर्ट सौंपने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है।
दूसरे तरफ भारत ने बुधवार को नेपाल के बाढ़ग्रस्त छह जिलों में प्रभावित परिवारों को मानवीय सहायता के रूप में टेंट, सोने के लिए चटाई समेत राहत सामग्री सौंपी। भारत के महावाणिज्य दूत नितेश कुमार ने सांसद और नेपाल-भारत मित्रता सोसाइटी की अध्यक्ष चंदा चौधरी को परसा जिले में आयोजित एक कार्यक्रम में यह खेप सौंपी। इस अवसर पर राजनीतिक पार्टियों के कई प्रमुख नेता भी मौजूद थे।
दूतावास ने कहा कि बाढ़ प्रभावित लोगों में वितरण के लिए टेंट, सोने के लिए चटाई और प्लास्टिक की शीट सौंपी गई। दूतावास ने एक बयान में कहा कि यह उपहार भारत सरकार की नियमित मानवीय सहायता और भारत-नेपाल सहयोग के तहत नेपाल को दी गई सहायता का हिस्सा है। गृह मंत्रालय ने पिछले महीने बताया कि नेपाल में मूसलाधार बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन से करीब 40 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए।