वो कहावत तो आपने खूब सुनी होगी, “नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली!” यह कहावत काँग्रेस पर इस समय बिलकुल फिट बैठती है। श्री राम मंदिर के काम में रोड़े अटकाने के लाख प्रयास करने के बाद अब जब भूमि पूजन का मार्ग प्रशस्त हो चुका है, तो कांग्रेस अपनी राम भक्ति दिखाने के लिए मैदान में उतर आई है।
- नवनीत दीक्षित
आज पूरी कांग्रेस राम भक्ति में लीन है पर इतने दिनों से मंदिर का मुद्दा हो या कश्मीर में धारा 370 व 35A हो सब पर क्या रवैय्या रहा है वो किसी से छुपा नही है।
आज कांग्रेस इतनी बड़ी पार्टी होते हुए भी सिमट रही है तो जिम्मेदार कौन?
आज जब मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ रामभक्त और हनुमान भक्त बन गए हैं और छत्तीसगढ़ में कॉन्ग्रेसी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रामायण से जुड़े पर्यटन स्थलों को विकसित करने की बातें कर रहे हैं, हमें विनायक दामोदर सावरकर का एक बयान याद करने की ज़रूरत है। सावरकर ने तब कहा था कि उन्होंने कॉन्ग्रेसवादी हिंदुओं को न सिर्फ शरीर पर बल्कि कोट पर जनेऊ पहन कर संघटनी सिद्धांतों का प्रचार करने के लिए बाध्य कर दिया।
सावरकर ने यह बात तत्कालीन राजनीति के संदर्भ में कही थी लेकिन ये आज भी प्रभावी है। उन्होंने जुलाई 10, 1943 को अविभाजित भारत के सिंध प्रान्त में मुस्लिम लीग के साथ हिन्दू महासभा के गठबंधन को लेकर कॉन्ग्रेसी दुष्प्रचार को जवाब देते हुए ये बातें कहीं थीं।
कमलनाथ के पीछे-पीछे आज यानी 4 अगस्त को मनीष तिवारी और फिर प्रियंका गाँधी ने भी राम मंदिर को लेकर ट्वीट किया। बताना जरूरी इसलिए है क्योंकि यही वो पार्टी है, जो अब तक भगवान राम के अस्तित्व को ही नकार रही थी। इसी पार्टी के वकील सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के खिलाफ दलील दे रहे थे।