“88 हजार ऋषियों की तपोस्थली नैमिषारण्य के पांच कुंडों चक्रतीर्थ,काशीकुण्ड, पंचप्रयाग तीर्थ,सीताकुंड तथा दधीचि कुंड से जल एकत्रित कर वेदों और मंत्रोच्चारण के साथ पूजा अर्चना कर उसे अयोध्या भेजा गया पीठाधीश्वर जगदाचार्य स्वामी देवेंद्रनंद सरस्वती ने बताया कि अयोध्या और नैमिषारण्य का सनातन युग का नाता हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 23000 वर्ष पूर्व जब मनु और सतरूपा यहां तपस्या कर रहे थे तो भगवान राम यहां प्रकट होकर उन्हें वरदान दिया और कहा कि जब आप अयोध्या के राजा होंगे तो भगवान राम स्वयं बेटे के रूप में वहां जन्म लेंगे। नैमिषारण्य में एकत्रित हुए महंतों और पुरोहितों ने नैमिषारण्य के पांच कुंडों का जल एकत्रित करके उसे अयोध्या भेज दिया हैं।
नवनीत दीक्षित / विभु पूरी
राम मंदिर आंदोलन जनपद सीतापुर”
अनादि काल से हिंदुओ की आस्था विस्वास के केंद्र बिंदु मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी अयोध्या जहाँ जन्म हुआ प्रभु श्री राम का “श्री राम जन्मभूमि” मुगलो आतताइयों द्वारा छली जाती रही अयोध्या हिंदुओं की संप्रभुता पर चोट पर चोट होती रही विवाद के रूप में मुगलो द्वारा लगभग 500 सालो से उतार चढ़ाव देखती रही अयोध्या अब जाकर विवादों से बरी हो रही है
श्री राम का भभ्य मन्दिर बनने के उपरांत सम्पूर्ण विश्व के मानसपटल पर अंकित होने को आतुर है अब अयोध्या ।
1 फरवरी सन 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी द्वारा ताला खुलवाने से उत्तपन्न उत्साह धीरे धीरे जोश में बदलने लगा जिससे सीतापुर भी अछूता न रहा ।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा संचालित विश्वहन्दू परिषद बजरंग दल द्वारा फूका गया बिगुल जनपद के सिर चढ़ के बोला सम्पूर्ण जनपद राम सेवक बन के उभरा ।
श्री राम कुमार वर्मा, श्री हरि प्रसाद मिश्र, श्री सुन्दरलाल सिंधी, श्री कृष्णस्वरूप अग्रवाल, श्री शारदा नन्द दीक्षित, राजेन्द्र कुमार गुप्ता, श्री जनार्दन मिश्रा आदि आदि कई वरिष्ठ ब्यक्तियों ने जनपद का राम जन्मभूमि आंदोलन का कार्य सम्हाला ।
10 नवम्बर सन 1989 में विश्वहन्दू परिषद द्वारा शिलान्यास की घोषणा कर दी गई,घर घर रामशिला पूजन का संकल्प लिया गया, लगभग तीन लाख राम शिलाओं के पूजन एवं 16000 गावों 26 देशों की भागीदारी हो ऐसा निर्णय लिया गया,पूरे प्रदेश में 5 शिला पूजन की यात्राएँ संचालित की गई, अगस्त से नवम्बर के बीच पूरे जनपद में यात्राएँ होती रहीं,नैमिष से शुरू हुई यात्रा कई जगह विराट विराट सम्मेलनों में परिवर्तित हुई,
रामलला हम आएंगे, मन्दिर वहीं बनाएंगे ।।
बच्चा बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का ।।
जैसे अनगिनत जोशीले नारो से जनपद गुंजायमान होने लगा कई नुक्कड़ सभाएं महासभाओं में बदलने लगी सभी रथयात्राओं का मिलन लखनऊ में होने का निर्णय हुआ था
लहरपुर की घरती से उसी समय अतिसक्रिय भाजपा के नेता श्री बीरेन्द्र पुरी एक भभ्य रथ सजा कर अपने 100 रामभक्तों के साथ लखनऊ पद यात्रा को निकल पड़े जिसका जगह जगह भभ्य स्वागत होता रहा लखनऊ जब रथ पहुँचा तब इसी रथ को मेन रथ के आगे रख्खा गया ।
10 नवम्बर सन 1989 में तय तारीख को शिलान्यास सम्पन्न हुआ घर घर भगवा ध्वज एवं दीपावली मनाई
गई ।
प्रयाग में धर्म संसद हुई जिसमें 30 अक्टूबर सन 1990 को मंदिर निर्माण की तारीख तय कर दी गई ।
सन 90 में सरकारें बदली सोमनाथ से भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी द्वारा रथ यात्रा का पूरे देश में भृमण का कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ जिसने पूरे देश के रामभक्तों में गजब का जोश भर दिया जिससे अपना जनपद भी अछूता नही रहा ।
उस दौर में शिवसेना की कमान तेज तर्रार युवा पत्रकार सतीश शर्मा ने अपने हाथों में लेकर जनपद के युवाओं में गजब की स्फूर्ति ला दी जगह जगह चौपाल लगाकर हिंदुत्व की आग पूरे जनपद में फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई उन्हें 4 अगस्त को गिरफ्तार करके गुंडा एक्ट सहित कई खराब धाराएं लगाई जिसने आग में घी डालने का कार्य किया ।
दूसरी तरफ ऋतम्भरा जी एवं विनय कटियार, उमाभारती द्वारा अधिकतम सभाएँ करने से एक ज्वार सा आ गया बिहार में लालू यादव द्वारा आडवाणी जी की रथ यात्रा रोकने एवं उनकी गिरफ्तारी के साथ साथ पूरे देश में गिरफ्तारियों का दौर चल निकला जिसमें जनपद के वरिष्ठ लोगो की गिरफ्तारी भी हुई ।
मुलायम सिंह की सरकार द्वारा कारसेवकों पर गोली चलवाने की घटना ने पूरे देश मे जो आग लगाई वो ढांचा विध्वंस होने के बाद ही ठंडी हुई ।
जब ढांचा विध्वंस हो रहा था तब जनपद के कई रामभक्त वहां उपस्थित थे, जिनमें मुकुन्दीलाल त्रिवेदी, उमेश पुरी, अशोक मेहरोत्रा आदि आदि थे ।
आज जब कोर्ट के द्वारा भभ्य मन्दिर बनने की राह बनी तब जाकर 500 वर्षो के रामभक्तों के संघर्षो का पटाक्षेप हुआ ।आज माननीय प्रधानमंत्री द्वारा किया जा रहा नीव पूजन एवं फिर शुरू हो रहा निर्माण कार्य लाखो रामभक्तों की खुशियों को संचार करेगा ।