समाजवादी पार्टी को झटका मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव ने थामा भाजपा का दामन

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यह पहला मौका नहीं है, जब देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार को बीजेपी की तरफ से झटका मिला है। मुलायम परिवार से संध्या यादव राजनीति में उतरने वाली पहली बेटी रहीं। मुलायम सिंह यादव के भाई अभयराम यादव की बेटी और धर्मेंद्र यादव की सगी बहन संध्या यादव ने अपना राजनैतिक सफर समाजवादी पार्टी के साथ ही शुरू किया था लेकिन पंचायत चुनाव के दौरान बीजेपी का दामन थाम लिया। संध्या यादव और उनके पति अनुजेश प्रताप यादव दोनों ने बीजेपी का दामन थाम लिया था।

 

आज बीजेपी में शामिल हुईं अपर्णा यादव
2017 में लखनऊ कैंट सीट से लड़ी थीं चुनाव
उत्तर प्रदेश की राजनीति में आज का दिन अहम है. समाजवादी पार्टी (सपा) संरक्षक मुलायम सिंह यादव के परिवार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बड़ी सेंधमारी की है. मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव आज बीजेपी में शामिल हो गई हैं. अपर्णा के सपा से मोहभंग होने के पीछे की वजह लखनऊ कैंट सीट बताई जा रही है.

लखनऊ की कैंट विधानसभा सीट. इसी सीट से 2017 के चुनाव में सपा के टिकट पर अपर्णा यादव चुनाव लड़ी थीं और 61 हजार से अधिक वोट पाई थीं. अपर्णा को जितना वोट मिला था, वह अब तक इस सीट से लड़े सपा प्रत्याशियों में सबसे अधिक था. 2022 में भी अपर्णा ने कैंट विधानसभा सीट से अपनी दावेदारी की थी.

क्यों लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ना चाहती हैं अपर्णा?

खबर है कि अपर्णा यादव ने लखनऊ कैंट से टिकट मांगा, लेकिन सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने परिवार से किसी को भी चुनाव मैदान में न उतारने का फैसला किया है. लखनऊ कैंट से टिकट न मिलता देख अपर्णा अमेठी की तिलोई सीट का भी दौरा कर चुकी हैं, लेकिन उन्हें अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत के लिए लखनऊ कैंट सीट ही मुफीद लगी है

 

क्या है लखनऊ कैंट का जातीय समीकरण?

अब समझते हैं कि लखनऊ कैंट की सीट का जातीय समीकरण क्या है? लखनऊ कैंट सीट ब्राह्मण बाहुल्य है. इस सीट पर करीब 1 लाख ब्राह्मण वोटर हैं. दूसरे नंबर पर सिंधी-पंजाबी वोटर हैं, जिनकी आबादी तकरीबन 65 हजार है. वहीं मुस्लिम आबादी करीब 25 हजार, यादव जाति के करीब 20 हजार वोट और ठाकुर जाति के करीब 15 हजार वोट हैं.

बीजेपी का गढ़ है लखनऊ कैंट विधानसभा सीट

लखनऊ कैंट सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. 2017 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर रीता बहुगुणा जोशी जीती थीं. इसके बाद हुए उपचुनाव में बीजेपी के ही सुरेश तिवारी विधायक बने. इससे पहले सुरेश तिवारी तीन बार (1996, 2002 और 2007) में भी इस सीट पर बीजेपी का परचम लहरा चुके हैं. 2012 के चुनाव में रीता बहुगुणा कांग्रेस के टिकट पर जीती थीं.

बीजेपी की ओर से कई नेता कर रहे हैं दावेदारी

सियासी समीकरण के लिहाज से यह सीट बीजेपी के लिए काफी मुफीद है. यही वजह है कि इस सीट से बीजेपी के कई दावेदार मैदान में हैं. पहले नंबर पर खुद विधायक सुरेश तिवारी हैं. इसके अलावा रीता बहुगुणा जोशी अपने बेटे मयंक जोशी, डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा, कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह और मेयर संयुक्ता भाटिया अपने बेटे के लिए दावेदारी कर रही हैं.

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