भारतीय सोच का एक नजरिया

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लेख अमित तिवारी

हमारा मुल्क ही एक ऐसा देश है जिसकोतीन नामों से पुकारा जाता है क्रमशः india ,,भारत ,,अौर हिंदुस्तान जाहिर है की जिस देश को तीन नामो का सौभग्य मिला हो उस देश की कुछ खासियत ज़रुर होगी ..ये नाम देश की विविधता अौर कई संस्कृतियों को दर्षाती है विविधता में एकता का परिचय भी देती है लेकिन आज आजादी के 76 वर्ष बाद मुझे लगता है कि देश मैं आज तीन तरह की विचारधाराएं नाम के ही अनुरूप पनपत रही हैं, इस लौक डाउन के दौरान भीषण महामारी में मुझे अपने देश में तीन तस्वीरें मेरे भारत के नामों के अनुरूप टीवी चैनलों पर अपनी गवाही दे रही थी india वालों की सोच पैसा कमाना और तेज जिंदगी के रफ्तार में किसी भी हद से गुजर जाना अपने लिए सभी सुविधाओं का का मनोरंजन के साधनों को रहकर बेहतरीन से ऐसी के कमरे में बैठकर लजीज व्यंजनों का स्वाद लेते हुए देखा टीवी पर भी कुछ डिजाइनर पत्रकारों ने कोई किसी सेलिब्रिटी के बारे में यह बताता है दिख रहा था कि आज उनके पप्पी ने किस कलर के कपड़े पहने हैं क्या किस धनाढ्य व्यक्ति ने आलू का भर्ता अपनी मिट्टी के चूल्हे पर बनाया यह बात हो रही है हमारे उस भारत देश की जिसको हम इंडिया बोलते हैं थोड़ा सा चर्चा हिंदुस्तान की भी हो जाती है जो इस महामारी में हर बात को जहां तक कि इस बीमारी को भी अपने संप्रदाय के रंगों में रंगने की की भारपूर कोशिश मे लगा रहा कही किसी समुदाय ने इस महारी को ही अपना हथियार बनाता दिखा कही निर्दोश संतो की हत्या कर दी गई हद तो तब दिखी जब इस महामारी की चपेट मे आये लोगो को स्वस्थ करके वापस भेजा जा रहा था और वहां पर नारा लग रहा था मोदी को मार देंगे मोदी को मार दूंगा ऐसी विचारधारा भी उत्पन्न हो तो क्यों ना हो जब यहां के बहुत सारे बुद्धिजीवी जिनको न जाने भारत सरकार ने कितने सम्मानो से नवाजा. हिंदुस्तान की जनता ने अपने दिल में जगह दे रखी हो जिसमें इसी मिट्टी में जन्म लेकर आज अपने ट्विटर अकाउंट पर कह रहा है की इस देश मे 30 करोड़ लोग इंसान हैं और 100 करोड़ लोग जानवर!मुझे नहीं लगता है कि यह कहना आवश्यक है कि यहां पर 30 करोड़ आबादी किस की है
मुझे तो लगता है सारे हिंदुस्तानी ही रहते हैं लेकिन ऐसा कहना सिर्फ हिंदुस्तान में ही हो सकता लेकिन हिंदुस्तान से डर भी लोगों को लग रहा है और लोग हिंदुस्तान में रहना भी चाह रहे हैं यह खूबी है मेरे प्यारे देश हिंदुस्तान की ! हिंदुस्तान और इंडिया के बीच मेरा प्यारा भारत जिसे हम और पूरी दुनिया सोने की चिड़िया के नाम से जानती है इंडिया और हिंदुस्तान के बीच में आज सड़कों पर धक्के खा रहा है वही पुरानी टूटी चप्पल जो मिलो दूर से चली थी वह टूट चुकी है थोड़ा सा चना जो रुमाल में बांधकर चले थे वह खत्म हो चुके हैं कुछ अपने भी छूट गए हैं रास्ते में लेकिन फिर भी चल रहे हैं ना कोई शिकवा है और ना कोई शिकायत है गिर रहे हैं थक रहे हैं फिर भी चल रहे हैं ! हां मैं बात कर रहा हूं उन गरीब मजदूरों की जो इंडिया के निर्माण करता है . जिसका पसीना देश की मिट्टी में मिल चुका है आज उसने अपने प्राणों के साथ-साथ अपने खून को भी इस मिट्टी में मिला दिया लेकिन शिकायत नहीं की !! जिनके कंधों पर आज हिंदुस्तान बैठा है आजादी के इतने सालों बाद भी हम इंडिया और भारत की विचारधारा एक नहीं कर पाये . उस विचारधारा का अंत करना ही होगा जो इस देश की एकता और अखंडता को इंडिया हिंदुस्तान और भारत मे बांट रही हो .

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