समय पर इलाज होने से ठीक हो सकते हैं मुख कैंसर के मरीज :- डॉ0 हिमांगी दुबे

कैनविज टाइम्स ब्यूरो/ धीरेन्द्र मिश्रा

लखनऊ। अजंता हॉस्पिटल में कार्यरत डेंटल सर्जन तथा बीबीडी यूनिवर्सिटी में सहायक आचार्य डॉ0 हिमांगी दुबे ने बताया कि मुख कैंसर भारत में एक बड़ी समस्या है। देश में शीर्ष तीन प्रकार के कैंसर में इसका स्थान है। तम्बाकू मुख के कैंसर का मुख्य कारण हैं। देश में मुख के कैंसर के रोगियों की संख्या लगभग 30 लाख है। हर साल तम्बाकू के सेवन से मुख कैंसर के 12 लाख नए मरीज सामने आ रहे हैं और कुल मरीजों में से 90 प्रतिशत मरीज तंबाकू का सेवन करने से मुख कैंसर से पीड़ित हैं। अगर अब सचेत नहीं हुए तो स्थिति गंभीर हो सकती है। विश्व कैंसर दिवस पर मुख कैंसर से सम्बंधित जानकारी देते हुए डॉ0 हिमांगी दुबे ने बताया कि जब शरीर के ओरल कैविटी के किसी भी भाग में कैंसर होता है। तो इसे मुख कैंसर कहा जाता है। ओरल कैविटी में होंठ, गाल, लार-ग्रंथिया, कोमल व हार्ड तालू, यूवुला, मसूडों, टॉन्सिल, जीभ और जीभ के अंदर का हिस्‍से आते हैं। इस कैंसर के होने का कारण ओरल कैविटी के भागों में कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि होती है। मुख कैंसर होने का जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है। यह सबसे ज्यादा पुरुषों में पाया जाता है इसका मुख्य कारण पान, मसाला, तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट का प्रयोग करना है। तम्बाकू में करीब पांच सौ तरीके के हानिकारक तत्व होते हैं। जिनमें से 70 ऐसे हैं जो कार्सिनोजन है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि तंबाकू और तंबाकू उत्पादों के साथ ही शराब का सेवन न करें। 40 साल के बाद महिला और पुरुष नियमित रूप से कैंसर स्क्रीनिग कराएं। मुंह और लंग्स कैंसर अधिकतर तम्बाकू व शराब के सेवन से होता है। कैंसर के प्रथम चरण में इलाज कराने से 90 प्रतिशत लोग ठीक हो सकते हैं। दूसरे चरण में 60 व तीसरे चरण में 30 से 40 प्रतिशत तक ठीक होने की सम्भावना रहती है। गुटका चबाने वालों को मुंह और गले में कैंसर होने की सम्भावना होती है। सिगरेट पीने वालों को मुंह और फेफड़े में यह बीमारी हो सकती है। जो लोग पान, गुटका आदि का सेवन करते हैं उन्हें बीच बीच में अपना मुंह का निरीक्षण करना चाहिए कि मुंह के अंदर कोई फोड़ा फुन्सी या मस्सा तो नहीं हो रहा है। यदि ऐसा होता है तो तुरन्त इलाज के लिए चिकित्सक के पास जाना चाहिए। बार बार खांसी होने पर भी जांच करानी चाहिए। डॉ0 हिमांगी ने बताया कि डायरेक्टर अजंता हॉस्पिटल डॉ0 अनिल खन्ना के मार्गदर्शन में उन्होंने हॉस्पिटल में तंबाकू नियंत्रण केंद्र की शुरुआत पिछले साल की। जिसमें आजकल सबसे ज्यादा मुंह के कैंसर के आने वाले मरीजों में 20 से 25 वर्ष के युवा आ रहे हैं। अस्पताल में  तम्बाकू सेवन करने वाले लोगों की काउंसलिंग करके उन्हें तम्बाकू छोड़ने के लिए प्रेरित किया जाता हैं तथा नियमित जागरूकता शिविर आयोजित करके लोगों को तंबाकू दुष्प्रभावों से अवगत कराया जा रहा है।

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